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बात क्या है जो रात भारी है : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,

जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,

मौत से डर के लोग जीते हैं, 
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Saurabh Pandey on December 10, 2013 at 7:43pm

जग से राजा भले भिखारी है .?

प्रयास पर ढेर सारी बधाइयाँ, भाई अरुन अनन्तजी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री लक्ष्मण प्रसाद सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:40pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश भाई जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 6, 2013 at 2:47pm

सुन्दर गजल रचना के लिए बधाई श्री अरुण शर्मा अनंत भाई 

Comment by vijay nikore on December 6, 2013 at 9:12am

बहुत खूबसूरत अशआर हैं। बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 5, 2013 at 10:07pm

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.........कटु सत्य लिए हुए

बहुत सुंदर गजल हुयी, दिली दाद कुबूल करें आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by राजेश 'मृदु' on December 5, 2013 at 5:15pm

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,

क्‍या बात है आदरणी, अद्भुत बात कही है आपने, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 4:44pm

आदरणीया मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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