For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सेमीनार में “कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न” विषय पर अपना भाषण देकर जब प्रिंसीपल साहिब स्टेज से उतरे तो सभी ओर तालियों की गड़गड़ाहट व वाहवाही गूंज रही थी,  सभी लोग बारी-बारी प्रिंसीपल साहिब को बधाईयां दे रहे थे। इसी क्रम में जब एक जूनियर अध्यापिका ने प्रिंसीपल साहिब को बधाई दी तो उन्हे लगा जैसे किसी ने सरे-बाजार उन्हे नंगा कर दिया हो।

- मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1330

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:34pm

छोटी सी कथा में बहुत कुछ कह दिया आदरणीय रवि सर | बहुत बधाई |

Comment by Alka Gupta on November 18, 2013 at 2:34pm

कटु सत्य.....अक सराहनीय रचना ...हार्दिक बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on October 6, 2013 at 9:38pm

इतने कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह देना ही लघुकथा की सफलता है। बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Shubhranshu Pandey on October 6, 2013 at 4:40pm

आदरणीय रवि जी, एक कड़वी सच्चाई, जिससे सभी दो चार हो जाते हैं..

कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न. ये एक ऎसी समस्या है जिसपर खुल कर बहस हो रही है...कथा में इस विशय को उठाने के लिये बधाई..

सादर. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 6, 2013 at 2:50pm

जिस कसावट के साथ इस लघुकथा लिखा गया है... वह एक उदाहरण सदृश है.

कथ्यसांद्रता नें बहुत प्रभावी तरह से शब्द चित्र उकेरा है..

इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई आ० रवि प्रभाकर जी 

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:39pm

मंच के सभी महानुभावों का लघुकथा की सराहना के लिए धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:37pm

आदरणीय मीना पाठक जी,
आपने लघुकथा पसंद की आपका धन्यवाद। आप स्वयं उच्च कोटि की लेखिका है। आप जैसे ज्ञानी व गुणी लोगों की टिप्पणी वाकई में आॅक्सीजन का काम करती है। 

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:34pm

प्रिय बहन महिमा,
आपको रचना पसंद आई, आपका धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:32pm

बागी भाई जी!
आपकी टिप्पणी का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। आप स्वयं एक बहुत सफल लेखक है। देर से की गई आपकी टिप्पणी से थोड़ा डर सा गया था कि बागी भाई को शायद लघुकथा पसंद नहीं आई। आपकी टिप्पणी से अति उत्साहित हूं। सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:29pm

आदरणीय गिरीराज जी व डी.पी. माथुर जी,
आप जैसे सहृदय महानुभावों की सराहना से नए जोश का संचार होता है। धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
18 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service