For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत ख़ुशनसीब हैं

हम लोग

हमारे सिर पर

हाथ है माँ का

क्योंकि

माँ का आँचल

हर छत से ज़्यादा

मज़बूत होता है

सुरक्षित होता है

माँ का आँचल

हर पेड़ की छाँव से ज़्यादा

ठंडा और आरामदेह होता है

 

बहुत ख़ुशनसीब हैं

हम लोग

हमारे सिर पर

हाथ है

माँ का

क्योंकि माँ का प्यार

खालिश होता है

दिखावट और बनावट से

दूर होता है

माँ के प्यार में  

धोका नहीं होता

माँ के प्यार का

मोल नहीं होता

 

बहुत बदनसीब हैं वे लोग

जिनकी माँ

इस दुनिया में नहीं है

उससे भी ज़्यादा

बदनसीब हैं  

वे लोग

जिनकी माँ जीवित है

फिर भी

वे माँ के आँचल से दूर हैं ।

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on June 6, 2013 at 10:15am

शुक्रिया शलिनी जी..

Comment by shalini kaushik on May 13, 2013 at 12:40am

 बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .

Comment by नादिर ख़ान on May 12, 2013 at 12:57pm

आदरणीय  

अशोक जी, सावित्री जी, बृजेश कुमार जी एवं   जवाहर लाल जी

हौंसला अफजाई के लिए आप सब का बहुत धन्यवाद..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 12, 2013 at 4:23am

बहुत बदनसीब हैं वे लोग

जिनकी माँ

इस दुनिया में नहीं है

उससे भी ज़्यादा

बदनसीब हैं  

वे लोग

जिनकी माँ जीवित है

फिर भी

वे माँ के आँचल से दूर हैं ।

माँ तुझे सलाम! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!

Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 1:38pm

मां को नमन! 

Comment by Savitri Rathore on May 11, 2013 at 12:37pm

माँ की महिमा का कोई अंत नहीं ........सुन्दर प्रस्तुति !

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 11, 2013 at 8:55am

आदरणीय नादिर खान साहब सादर, माँ की महिमा को और अधिक उंचाइयां देती सुन्दर रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by नादिर ख़ान on May 11, 2013 at 12:12am

आदरणीय

प्रदीप जी, सौरभ जी,कुन्ती जी एवं केवल प्रसाद जी 

आप सबने रचना के भाव को सराहा जिसके लिए तहे-दिल से शुक्रिया 

सौरभ जी से हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. बहुत आभार .....

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 5:16pm

क्योंकि माँ का प्यार

खालिश होता है

दिखावट और बनावट से

दूर होता है

माँ के प्यार में  

धोका नहीं होता

माँ के प्यार का

मोल नहीं होता

वास्तव में अभागे हैं वे जिनके सर से साया उठ गया मां का 

सादर बधाई. 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 9, 2013 at 11:21pm

इस कविता में वात्सल्य की मूर्ति के लिए अनवरत की उमड़न है तो इससे विलग जीने वालों के प्रति उलाहना भी.  कवि का मुग्ध और उदार भाव से अभिव्यक्त होना भला लगता है. लेकिन यह भी सही है कि विवशताएँ किसी ’सपूत’ को तथाकथित ’कपूत’ बनाती हैं, जो मन से विलग जीवन जीने के आग्रही है, माँ उन्हे निरंतर मन से पालती है. एक विशेष कविता.  बधाई !!

एक बात :  ठंडक संज्ञा है जबकि उस जगह विशेषण की अवश्यकता थी. अतः सही शब्द ठंढा होगा.

इस उद्वेगपूर्ण रचना के लिए पुनः बधाई, नादिर भाई जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service