For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विधना तेरे रूप में, आया कहां निखार

बेशकीमती ब्‍लीच औ, लोशन मले हजार

मौनी बाबा टल्‍ली हैं, आफत में युवराज

घूर रहा जो ताज को, गुजराती परबाज

शहर गाल में गांव हैं, कोलतार में पैर

बेदम होकर हांफती, सुबह-शाम की सैर

ट्रैफिक की हर चीख पर, सिग्‍नल मारे आंख

रेल-बसों में चुप खड़े, सहमे डैने, पांख

अनशन पर कोई अड़ा, कोई हुआ मलंग

इटली वाले रंग में, किसने घोला भंग

नदी रही नाला हुई, किसपर नखरे नाज ?

सिलती सौ-सौ दामिनी, फटती जाती लाज

योग भगाता रोग जो, दवा करे क्‍या काम

छंद ना मापो हे कवि, होगा काम तमाम

चल री अनगढ़ लेखनी, ढूंढें दूजा छोर

तेरे धूसर पांव को, लेगा शहर खखोर

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on April 4, 2013 at 4:30pm

उसी को पढ़ रहा हूं अरून जी, बहुत आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 4:26pm

राजेश भाई लिंक मिला क्या नहीं तो यह लीजिये हम ले आये. http://openbooksonline.com/group/hindi_ki_kaksha/forum/topics/51702...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2013 at 4:23pm

हिंदी की कक्षा समूह में कुछ आलेख हैं मात्रा गणना पर आप उन्हें देखिये 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 4, 2013 at 4:12pm

आप सभी का हार्दिक आभार,मात्रा बड़ी सताती है कोई आलेख सुझाएं निवेदन है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 4, 2013 at 12:44am

सार्थक और सम्यक प्रयास हुआ है, भाईराजेशजी.

अन्य सुधीजनों ने जो कुछ कहा है वह भी सार्थक है.

दोहे के विषम को गुरु गुरु से कदापि अंत न करें. न ही उसका अंत भगण से ही होता है.

नदी रही नाला हुई, किसपर नखरे नाज ?

सिलती सौ-सौ दामिनी, फटती जाती लाज..  .. इस अति उच्च कहन से समृद्ध दोहे के लिए विशेष-विशेष बधाई.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 3, 2013 at 9:31pm

बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं आदरणीय राजेश जी सादर बधाई स्वीकार करें

तत कुछ सुधार अपेक्षित हैं

मौनी बाबा टल्‍ली हैं.......१४  मात्राएँ प्रवाह बाधित है

किसने घोला भंग ...........घोला की जगह शायद घोली होना चाहिए था

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 7:58pm

आदरणीय राजेश कुमार झा जी, आपके दोहे सुन्दर एवं रोचक हैं। हां आदरणीय अरून शर्मा जी की बात पर गौर करें।  बहुत-बहुत बधाई।  सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 3, 2013 at 3:21pm

आदरणीय राजेश भाई दोहों के जरिये वर्तमान परिस्थिति पर बढ़िया व्यंग कसा है. मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

नदी रही नाला हुई, किसपर नखरे नाज ? भाई प्रश्न चिन्ह आपने सही लगाया है यह तो मुझे समझ नहीं आया.

सिलती सौ-सौ दामिनी, फटती जाती लाज . सत्य एवं निःशब्द.

मौनी बाबा टल्‍ली हैं, आफत में युवराज ..मौनी बाबा टल्‍ली हैं मात्रा गणना पुनः कर लें.

घूर रहा जो ताज को, गुजराती परबाज

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service