For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
ये दुनिया इक मुसाफ़िर ख़ाना
इसमें बसने का ख़याल न कर
ग़मे दहर का झगड़ा लेकर
तूं अपने घर में बवाल न कर
दर्द का दरमाँ तड़फ ही है
करके मुहब्बत मलाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
याद कर वो माज़ी के मंज़र
तूं अपना बरबादे-हाल न कर
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hilal Badayuni on October 22, 2010 at 12:35pm
ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
bahut khoobsurat ghazal kahi hai
Comment by satish mapatpuri on May 16, 2010 at 11:49am
आशा जी ,सर्वप्रथम इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मेरा साधुवाद स्वीकार करें .
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है .
Comment by Chhavi Chaurasia on May 16, 2010 at 6:44am
ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर ...बहुत ही अच्‍छी और दिल को छू लेने वाली रचना है.
Comment by Anil Tiwari on May 5, 2010 at 3:46pm
bahot khoob aapne arj kiya hi ye khuda intani kamal kar ki hamari jiindagi itane khwab pura karo
Comment by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 3:33pm
bahut badhia
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर
Comment by satish mapatpuri on May 5, 2010 at 1:46pm
आशा जी ,इस बेहतरीन ग़ज़ल मेरा साधुवाद स्वीकार करें . धन्यवाद
Comment by asha pandey ojha on May 5, 2010 at 12:33pm
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Girraj Kishore Sharma on May 5, 2010 at 10:01am
"आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर"

बहुत ही उम्दा पंक्तिया हैं|
Comment by Anil Tiwari on May 5, 2010 at 9:33am
achi vichar hi motivate hone ke liye thanks to you for your good thinks
Comment by Sanjay Kumar Singh on May 5, 2010 at 8:50am
Achhi gazal hai,aek aek shayer bahut hi arthpurna hai, bahut badhiya,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service