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दो शब्द हिन्दी दिवस पर...

दो शब्द हिन्दी दिवस पर: 14 सितम्बर की बधाई

हिम तुल्य शितल, न्याय तुल्य निश्चल, दीप तुल्य उज्जवल
तीन अक्षर का संगम हिन्दी! सुबोध भाव अति निर्मल

अभिन्न भेष-भुषा सस्ंकृति से मान बढ़े लोकप्रियता का
केवल नागरिकता नहीं उचित परिचय राष्ट्रीयता का
भारतीयता का पूर्णतः प्रतीक हिन्दी बोल विशिष्ट विमल

वर्णित भारतीय सविंधान में है प्रस्तावना का प्रालेख
स्वीकृति सम्पूर्ण भारत में हो हिन्दी नियमित उल्लेख
कारण कई उत्तमता का लिपि सहज सरस सरल

गगन में अनेंको तारे परन्तु चन्द्र सबों में उत्तम
पदवी राजभाषा धारी हिन्दी भाषाओं में सर्वोत्तम
शरद ऋतु सा अनोखा है वर्ण उच्चारण में कोमल

राजनीतिक दाव पेंचो ने छवि बनाया कुछ इस प्रकार
बाहरी भाषा पनप रही है हिन्दी संग में दुव्र्यवहार
अदभुत गुण का स्वामिनी देवनागरी किन्तु है निष्फल

तब हीं संभव है , हे देशवासी! भारत का उत्थान
जब कार्मिक किसान कर्णधार हिन्दी को देंगे मान
जो सभ्यता को जीवन मिले तभी राष्ट्र को आत्मबल

हो किसी भी प्रांत का कोई सिख मराठा सिन्धी
मातृभूमि का सम्मान कर कार्यक्षेत्र में प्रयोग हिन्दी
अतएव सभी भाषा पूजनीय किन्तु राजभाषा पुष्प कमल

केवल यह कविता नहीं है सुशब्द ह्यदय का उदगार
हिन्दी! हिन्दू! हिन्द! हीं है भारत का विनीत आधार
सम्पूर्ण विश्व में कृति पताका जो हो जाए हिन्दी सफल!

सबोध कुमार शरद

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Comment

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Comment by Subodh kumar on September 22, 2010 at 6:46pm
यही तो बात है अपर्णा जी ..अपने ही घर में हिंदी मेहमान बनकर रह गई है ... इसका काफी हद तक जिम्मेदार हमसब ही हैं..
Comment by Aparna Bhatnagar on September 22, 2010 at 5:09pm
हिंदी हमारी शान है .. फिर इसे अपनाने में लोग हिचक क्यों महसूस करते हैं ?
Comment by Subodh kumar on September 15, 2010 at 8:30pm
धन्यबाद बागी जी...भाई आपलोग की सरहाना ही तो मुझे लिखे को प्रेरित करती है ...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2010 at 9:11pm
केवल यह कविता नहीं है सुशब्द ह्यदय का उदगार
हिन्दी! हिन्दू! हिन्द! हीं है भारत का विनीत आधार
सम्पूर्ण विश्व में कृति पताका जो हो जाए हिन्दी सफल!

शानदार रचना कही जायेगी यह सुबोध बाबु, हिंदी दिवस की बधाई स्वीकार करे ...

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