For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद उतर आएगा...

 

 

 

 

 

 

 

 

सर्फ़ का घोल लेके वो बच्चा हवा में बुलबुले उड़ा रहा था  

कुछ उनमें से फूट जाते थे खुद-ब-खुद

कुछ को वो फोड़ देता था उँगलियाँ चुभाकर

और कुछ उड़कर चले जाते थे

उसकी पहुँच से बहुत दूर 

ऐसा ही एक बुलबुला

जाकर चस्प हो गया था आसमान पर

चाँद की शक्ल में

हर रात छत पर जाके मैं तकता रहता हूँ आकाश को

लगता है उफनता हुआ चाँद भी शायद

बुलबुले सा

लहराता हुआ उतर आएगा मेरी छत पर |

 

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veerendra Jain on July 27, 2011 at 11:26am

bahut bahut dhanyawad ...Vivek ji...

Comment by विवेक मिश्र on July 26, 2011 at 2:33am

दिल को छू लेने वाली नज़्म बन पड़ी है. मुबारकबाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 25, 2011 at 12:14am

गणेशभाई, आपने सुझाव के तौर पर बहुत गहरी बात कही है. बहुत-बहुत धन्यवाद.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 24, 2011 at 8:13pm

वीरेंद्र जी मैं आपको version जो भेजा था वो केवल उदाहरण स्वरुप भेजा था कि बगीचे के झाड़ियों को काट छाट कर देने से वो झाड़ियाँ और भी खुबसूरत हो जाती है | :-)

Comment by Veerendra Jain on July 24, 2011 at 7:25pm

Saurabh sir...aapka protsahan hamesha hi prernadayak hota hai...bahut bahut shukriya...

Comment by Veerendra Jain on July 24, 2011 at 7:24pm

Arun ji...bas ek khyal aaya aur use shabdon me dhalne ki koshish ki hai...yadi ruchikar lagi ho to likhna sarthak hua..bahut dhanyawad...

Comment by Veerendra Jain on July 24, 2011 at 7:21pm

Ganesh bhaiya...bahut bahut dhanyawad...kintu aapka version mujhe jyada acha laga...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2011 at 4:54pm

इस चाँद को न छू देना, न ही छूने देना. हर किसी को उसके चाँद का छू जाना और फिर उसका फूट जाना कभी भी अच्छा नहीं लगता.

*****

इस रुमानी रचना के लिये बधाइयाँ.

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2011 at 2:55pm
कमाल की नवीनता और ताजगी है इस रचना में इस बात के लिए बहुत बहुत बधाई वीरेंद्र जी !!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 23, 2011 at 1:37pm

वीरेंद्र जी यह रचना स्वतः स्फुटित ह्रदय की आवाज जैसी लगती है , सुंदर कथ्य, बधाई आपको | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service