For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

llमुहब्बत लिख देंगेll

मात्रा बह्र 

2 2 /  22 / 22 / 22 / 22 / 2

सोचा हमने तुमको इक ख़त लिख देंगे।
और तुम्हारी एक शिकायत लिख देंगे।।

ये जंग न हो दुनियाँ में मेरे मौला ।
दुनिया भर के नाम इबारत लिख देंगे।।

कर सकते हो हर एक खता दुनिया में। 
हम ये तेरे नाम इजाजत लिख देंगे।।

मिलते मिलते बिछड़ा है वो भी मुझसे।
करता मेरा यार सियासत लिख देंगे।।

इक दिन मिट जायेगा पूरा ये ज़माना।
होगी जो मातम की सूरत लिख देंगे।।

दिल से तेरी यादे जाती ही कब है।
बनती जाती मेरी फितरत लिख देंगे।। 

दिल तोडा था "केतन" का जिसने यारो ।
हम उनके ही नाम मुहब्बत लिख देंगे।।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on July 31, 2013 at 4:29pm

Saadar Lata Tej Ji aapka bahut bahut dhanyvaad

Comment by Lata tejeswar on July 31, 2013 at 9:40am

Bahut badia ketan

Comment by Ketan Parmar on July 30, 2013 at 4:30pm

BATANE KE LIYE KE MATRA GINANE SE GHAZAL NAHI BANTI

Comment by Ketan Parmar on July 30, 2013 at 4:30pm

SUKRIYAA AAPKA VENUS JI

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:49am

कई मिसरे लय से भटक रहे हैं ...
मात्रा को गिन लेने भर से २२ २२ ... फैलुन फैलुन .... की कोई ग़ज़ल बा बहर नहीं हो जाती इस बात को समझने की जरूरत है

Comment by Ketan Parmar on July 23, 2013 at 11:09am

Dr. Prachhi Singh ji 

agar aap bata sake ke kon se misre behr me nahi hai taki main unko behr me kar saku.

Saadar abhaar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2013 at 9:33am

आ० केतन परमार जी 

गज़ल के कई मिसरे बेबह्र हैं, तक्तीक ज़रा पुनः कर लें 

सादर.

Comment by ajay yadav on July 21, 2013 at 11:57am

हमें खबर है कभी लौट कर न आएँगे  गए दिनों को मगर हम बुलाते रहते हैं........

Comment by बृजेश नीरज on July 21, 2013 at 7:04am

आदरणीय आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन करना चाहता हूं कि ओबीओ पर गजल की बातें के नाम से एक समूह संचालित है। कृपया उसकी सदस्यता लें और वहां पोस्ट किए गए लेखों को पढ़ें। बहुत लाभ होगा।

Comment by Ketan Parmar on July 19, 2013 at 5:43pm

Jeet Ji dil se aapka sukriyaa

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
11 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service