For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सार छंद - (मातृदिवस पर रचित)

1~
बचपन की यादों में जब मैं, मातृ दिवस पर लौटा।
पाया खुद के ही मुखड़े पर, नकली एक मुखौटा।।
लौट गया मैं गाँव अचानक, माँ से करने बातें।
माँ तो वहाँ न थी लेकिन थीं, यादों की बारातें।।
2~
माता माता मन्दिर जाती, रखे हाथ पर लोटा।
सीढ़ी चढ़ने में साड़ी का, लेती सदा कछोटा।।
माँ के पीछे-पीछे चलकर, हम बच्चे भी जाते।
माता को चुपचाप देखते, माता से बतियाते।।
3~
माँ ने अपनी खातिर माँ से, कभी नहीं कुछ माँगा।
उन मधुरिम यादों को हमने, क्योंकर खूँटी टाँगा।।
धूल झाड़कर मातृदिवस पर, पढ़ी पुरानी पोथी।
लगी अचानक माँ के सम्मुख, सारी दुनिया थोथी।।
4~
पनघट से माँ लेने जाती, सुबह शाम जब पानी।
उतने में हम सब मिल करते, भागदौड़ मनमानी।।
आकर माँ चूल्हा सुलगाकर, उसपर दाल चढ़ाती।
बीच-बीच में साथ-साथ ही, पुस्तक हमें पढ़ाती।।
5~
आ से आम ईख का ई है, पा से होता पानी।
कहकर माँ फिर दाल चलाती, हम करते शैतानी।।
हम सब माँ को घेरे रहते, जब तक जलता चूल्हा।
माँ कहती बाहर तो देखो, निकल रहा है दूल्हा।।
6~
कहती जाओ जल्दी से तुम, जाकर सभी नहा लो।
तब तक खाना बन जाएगा, एक साथ सब खालो।।
फिर हम सब लेकर आ जाते,अपनी-अपनी थाली।
किसको पहले रोटी मिलती,नजरें रहें सवाली।।
7~
माँ के आँचल के नीचे तब,थी कितनी खुशहाली।
लगती थी वह अनुपम सुंदर,माँ की हिलती बाली।।
सब्जी दाल न होती जिसदिन, माँ देती गुड़ रोटी।
लगती थी स्वादिष्ट बहुत वह, पतली हो या मोटी।।
8~
गुस्से में जब-जब भी माँ ने, कभी अगर जो मारा।
तो भी पिटते-पिटते ही तब, माँ का नाम पुकारा।।
घर में अगर न माँ जो दिखती, चैन नहीं तब आता।
छींक किसी को भी आ जाना, माँ का था जगराता।।
9~
माँ के पास यंत्र है कोई, सक्रिय वही हो जाता।
बच्चों की पीड़ा का माँ को,जो अहसास कराता।।
आधि-व्याधि जब-जब भी कोई,अगर कभी आ जाती।
मीलों दूर समझ लेती माँ,दौड़ी-दौड़ी आती।।
10~
माँ का अन्य विकल्प नहीं है, माँ मन्दिर माँ पूजा।
माता जैसा नाम नहीं है, जग में कोई दूजा।।
माँ ही धैर्य क्षमा सेवा है, माँ ही जननी जाया।
वही समय स्वर्णिम होता है,जब तक माँ की छाया।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on June 3, 2019 at 1:23pm

आदरणीय सौरभ शुक्ल जी,आपकी उपस्थिति व सुंदर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ। इस उत्साहवर्धन व आपकी उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ। आपसे प्राप्त मार्गदर्शन अमूल्य है,भविष्य में निश्चित ही लाभप्रद रहेगा। इस हेतु धन्यवाद। विलंबित आभार हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 17, 2019 at 11:34pm

हृदय की भावमय गहराइयों से संसृत हुई यह आत्मीय प्रस्तुति भावुक कर गयी, आदरणीय हरिओम जी। प्रत्येक बंद माँ की स्नेहमय स्मृतियों का पिटारा है जिसमें व्यतीत घटनाओं का ख़ज़ाना है। 

हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय। 

सार छंद भी मुक्तक श्रेणी का है। अतः किसी बंद की संज्ञा उसी तक सीमित रहेगी। अन्य या अगले बंद में उसका उद्धरण तदनुरूप सर्वनाम से करना शास्त्र और विधान की दृष्टि से उचित न होगा। 

शुभातिशुभ

सौरभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service