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मैं तुझ से मिलने आऊंगा

मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
हर रात हौले से जब बंद करेगी तू अपनी आँखें
तेरे सपनो के द्वार इक दस्तक मैं दे जाऊँगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा



लाख लगा ले तू पहरा अपने महलों की द्वारों पे
नज़र उठा के देख ज़रा लिखा है मैने नाम तेरा चाँद सितारों मे
जानता हूँ हर रोज़ जाती है तू फूलों के बागों मे
बालों मे लगाती है इक गजरा पिरोके उनको धागों मे
इक दिन बनके फूल तेरे गजरे का तुझ ही को महकाऊँगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा


जानता हूँ हर शाम तू अंजान अंधेरे से डरने लगती है
जला दिए अपने घर मे उजाला करने लगती है
अंधेरों से तो मेरा बड़ा पुराना नाता है
मुझे तेरे आँसू पोंछकर तुझे हंसाना आता है
तेरी जिंदगी रोशन करने की आरजू अब भी दिल मे बाकी है
इक दिन तेरी जिंदगी रोशन करने दियों की जगह मैं खुद ही जलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा

आए हैं कई तूफान इस चमन मे अपने जोरों से
आवाज़ सुनाई देती है उनकी अब भी सूखे दरखतों के शॉरों से
इक तूफान ने इक ग़लती की, इक बीज को मिट्टी मे मिला दिया
अंजाने मे ही सही इक नया वृक्ष खिला दिया
याद रखना तू की मैं पल्लव हूँ नाता है मेरा पेड़ों से
इस वासन्ती वेला मे मैं फिर से खिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा

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Comment by Dheeraj on April 26, 2011 at 4:11pm

जानता हूँ हर शाम तू अंजान अंधेरे से डरने लगती है
जला दिए अपने घर मे उजाला करने लगती है
अंधेरों से तो मेरा बड़ा पुराना नाता है
मुझे तेरे आँसू पोंछकर तुझे हंसाना आता है
तेरी जिंदगी रोशन करने की आरजू अब भी दिल मे बाकी है
इक दिन तेरी जिंदगी रोशन करने दियों की जगह मैं खुद ही जलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा

 

 

 

.............................काफी देर से आपके इस खुबसूरत नज़्म पे नजर पड़ी पल्लव जी ......... कोई शक नहीं काफी सराहनीय रचना है .... बिलकुल अपने दिल की आवाज सुना दी है उम्मीद करता हूँ उन्होंने भी समझी होगी जो इशकी प्रेरणा बनी होंगी ........ मेरी शुभकामनाये

Comment by Babita Gupta on June 20, 2010 at 1:48pm
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
हर रात हौले से जब बंद करेगी तू अपनी आँखें
तेरे सपनो के द्वार इक दस्तक मैं दे जाऊँगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा,

warning deney key style mey likhi gai kavita achhi hai, Pallav jee badhiya likhey hai ,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2010 at 11:22am
बहुत बढ़िया पल्लव जी, आप की रचनाओ मे कुछ तो ज़रूर है जिससे पढ़ने लगने पर आदमी खो जाता है, अच्छी रचना, खूबसूरत अंदाज, धन्यवाद,
Comment by baban pandey on June 20, 2010 at 10:00am
अंजाने मे ही सही इक नया वृक्ष खिला दिया
याद रखना तू की मैं पल्लव हूँ नाता है मेरा पेड़ों से
इस वासन्ती वेला मे मैं फिर से खिलने आऊंगा
waah...bhai ..kya shabado ka jaal buna hai bhai,,,,,thanks

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 20, 2010 at 8:21am
बहुत सधी हुई सोच...........सुन्दर शब्द चयन एवं सुन्दर कविता...............

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