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इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,
पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥

अनजान थे जो अब तक, उसके असरार से ,
अंजुमन में हुई जब उसकी आमद, हबीब हो गया ॥

फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,
है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥

जो बदनामी के डर से, राहें अपनी बदल गए ,
हैं ! वो बने हम -सफर ,कुछ किस्सा अजीब हो गया ॥

जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया है ॥

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Comment by Admin on June 19, 2010 at 6:10pm
फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,
है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥

बहुत ही सुंदर , पहले की तरह ही एक और खुबसूरत ग़ज़ल , बहुत बढ़िया,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 18, 2010 at 6:36pm
जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया

एक एक अशआर चार चंद लगा रहे हैं. उम्दा, बहुत उम्दा
Comment by baban pandey on June 18, 2010 at 7:18am
जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया है ॥
waah ..bhai बहुत ही खुबसूरत ......

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 17, 2010 at 7:15pm
इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,
पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥

कमलेश भईया बहुत बढ़िया ग़ज़ल कह गये है आप, इस ग़ज़ल के सारे शेर अच्छे बने है, बहुत खूबसूरत लगा यह ग़ज़ल , बधाई स्वीकार करे,

कृपया ध्यान दे...

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