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| नज़र इंसान की घातक हुई क्या? | 
| अभी नासाफ़ थी, हिंसक हुई क्या? | 
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| भरोसा जिन्दगी से उठ गया जो | 
| अचानक मौत की दस्तक हुई क्या? | 
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| हमारे पाँव चिपके जा रहे है | 
| नदीम उनकी गली चुम्बक हुई क्या? | 
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| अँधेरा हो गया है झुग्गियों में | 
| महल में फिर वही रौनक हुई क्या? | 
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| यहाँ दुःख आ गया जो ताल देने | 
| किसी की कामना मोहक हुई क्या? | 
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| इबारत सा मुझे क्यों ताकता है? | 
| मेरी सूरत कोई पुस्तक हुई क्या? | 
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| यहाँ हर सिम्त बुत बिखरें हुए हैं | 
| अकीदत आपकी पूजक हुई क्या? | 
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| सवेरे से बहुत खामोश घर है | 
| वही फिर आपसी बकझक हुई क्या? | 
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| दलालों की तबस्सुम खिल रही है | 
| नज़र उनकी कहीं चस्मक हुई क्या? | 
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| ख़ुशी कमजर्फ की आजाद देखी | 
| किसी की आरज़ू बंधक हुई क्या? | 
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| अचानक से ग़ज़ल फिर हो गई है | 
| हमारी वेदना सर्जक हुई क्या? | 
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| सलीका क्या सुखन का, क्या बताएं? | 
| हमारी लेखनी मानक हुई क्या? | 
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Comment
ख़ुशी कमजर्फ की आजाद देखी
किसी की आरज़ू बंधक हुई क्या?
वाह आदरणीय मिथिलेश भाई साहिब बेहतरीन अशआर बने हैं … हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
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