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गुलदस्ता - .......३ मुक्तक

गुलदस्ता - ........३ मुक्तक

हर लम्हा ....


जब भी  ये  दिल उदास होता है
जाने कौन  आस  पास  होता है
मेरी तन्हाई को  साँसे देने वाले
हर लम्हा तेरा अहसास होता है

..............................................

तमाम सांसें .....

आपकी हर अदा  को  सलाम करते हैं
अपनी मुहब्बत .आपके नाम करते हैं
वजह बन गए हैं जो हमारे ख़्वाबों की
तमाम सांसें .हम उनके नाम करते हैं

................................................

उनके लबों पे ……..


आज उन के लबों पे हमारा भी नाम आयाहै
साथ बादे सबा के  इक हसीं पैगाम आया है
देख  आसमाँ के महताब अब ख़फा न होना
आज हम से मिलने  ज़मीं का चाँद आया है


सुशीलसरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 29, 2015 at 3:14pm

आदरणीया डॉ.प्राची सिंह जी क्षमा कह कर मुझे शर्मिंदा न करें . कभी कभी अनजाने में ऐसा हो जाता है . आपका हार्दिक आभर .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2015 at 9:14pm

बहुत भूल हुई भाई सुशील जी...... क्षमा क्षमा. 

आपका नाम अभी सही कर दे रही हूँ 

Comment by Sushil Sarna on May 28, 2015 at 3:27pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवं सुझाव का हार्दिक आभार। मेरा नाम सुशील सरना है न की विष्णु सरना  … हा हा हा। 

Comment by Sushil Sarna on May 28, 2015 at 3:24pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर   जी प्रस्तुत मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।  

Comment by Sushil Sarna on May 28, 2015 at 3:23pm

आदरणीय  Er. Ganesh Jee "Bagi" जी प्रस्तुत मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।  आपने   याद दिलाया तो हमें याद आया   … लेकिन मन जो भाव आते गए कागज़ पर उतार दिया  .... बाकी इसे संयोग मात्र ही कह सकते हैं   … दुसरे नाम और पैगाम के साथ चाँद कैसे आया  … बात तो आपकी १००% खरी है सर क्या करें भावों को लिखते लिखते न जाने कैसे मुक्तक में चाँद लिखना अच्छा लगा हमने लिख दिया और वो भावों से मेल खा गया अब चाहे वो काफिये से मेल नहीं खा रहा था फिर भी अच्छा लग रहा था।  खैर कोई बात नहीं आगे से आपके सुझाव का अवश्य ध्यान रखेंगे। आपके स्नेहात्मक सुझाव का हार्दिक आभार सर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2015 at 10:34am

आ० सुशील सरना जी 

सहज अभिव्यक्ति...सुन्दर मुक्तक प्रयास

आ० गणेश जी की कहीं दोनों बातों से पूर्णतः सहमत हूँ, आप भी संज्ञान में अवश्य ही लें..

हार्दिक शुभकामनाएं इस प्रयास पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 27, 2015 at 10:37pm

बहुत सुन्दर मुक्तक हुए है 

हार्दिक बधाई 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 11:14am

सुन्दर मुक्तक हुए है! आ० sushil sarna जी! हार्दिक बधाई!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 26, 2015 at 2:43pm

//जब भी  ये  दिल उदास होता है 
जाने कौन  आस  पास  होता है //

गुलजार साहब द्वारा लिखा फ़िल्म सीमा का यह गीत बहुत ही पॉपुलर है, यदि आप तक यह गीत नहीं पहुंचा तो इसके लिए आप दोषी हैं ..हा हा हा हा हा

अंतिम मुक्तक में नाम, पैगाम के साथ चाँद काफिया कैसे ?
बहरहाल इस प्रयास हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीय सरना साहब. 

Comment by Sushil Sarna on May 26, 2015 at 12:53pm

आदरणीय   Kewal Prasad जी मुक्तक पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार।

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