For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी खामोश बैठी शायरी से : ग़ज़ल (मिथिलेश वामनकर)

1222-1222-122

------------------------------------

अदावत क्या करे कोई किसी से
परेशां हर कोई जब ज़िन्दगी से

अकीदत आपकी सूरज से लेकिन
हमारी   बेरुखी  है  रौशनी  से

पसीना लफ्ज़ बनकर बह रहा है
किसी  खामोश  बैठी शायरी से

अता जिसको कभी शोहरत नहीं है
कहाँ  मिलते  है ऐसे  आदमी से

सदा सूरज के आगे क्यों सिमटती
किसी  ने  प्रश्न  पूछा चांदनी से

हुकूमत जुल्म किस पर कर रही है
सभी  खामोश  अपनी  बेबसी  से

नहीं  है  कौन  तेरा  तिश्नकामी
बचा  है  कौन  तेरी  तिश्नगी से

जरा मिथिलेश अब दिल से निकालो
मिटाया  नाम  जिसका डायरी  से

-------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) -   © मिथिलेश वामनकर 
-------------------------------------------------------

 

 

Views: 1704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 18, 2015 at 2:37pm

आदरणीय नितिन गोयल जी, ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत का शुक्रिया. सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर 

Comment by Nitin Goyal on August 18, 2015 at 12:23pm
बहुत खूब......। ख़ासकर मतला और मकता बेहतरीन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 11:19pm
आदरणीय राम शिरोमणि भाई आपका बहुत बहुत आभार। हार्दिक धन्यवाद।
Comment by ram shiromani pathak on December 26, 2014 at 10:00am
आदरणीय भाई मिथिलेश जी इस ज़ोरदार ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको।।सादर
Comment by वीनस केसरी on December 26, 2014 at 5:29am

भाई जी सीखने सिखाने का मंच है सभी एक दूसरे से सीख रहे हैं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 5:10am

आदरणीय वीनस जी आपके आलेख "ग़ज़ल की बातें" पढ़े तो ग़ज़ल कहने का सलीका सुधर गया इसलिए आदरणीय, अरुजी और सर से संबोधित कर रहा हूँ .... जहाँ तक उम्र की बात है तो आपकी उम्र का पता नहीं था (फेसबुक प्रोफाइल अभी देखी तो आज पता चला) .. साहित्य की दुनिया में सीखने की पहली शर्त है नतमस्तक रहना बस उसी कारण सभी को आदरणीय और सर से संबोधित करता हूँ. कुछ सरकारी नौकर हूँ तो आदत से भी लाचार. खैर अरुजी तो आप है ही और आदरणीय भी... मगर भारतीय परम्परा अनुसार उम्र को भी महत्व  देते हुए .... आ.वीनस भाई जी संबोधन कर लेता हूँ ... सादर 

Comment by वीनस केसरी on December 26, 2014 at 4:48am

भाई जी,
न मैं अरूज़ी हूँ, न आदरणीय और न सर 

आपसे उम्र में बहुत छोटा हूँ आदर भाव के लिए "वीनस जी" ही बहुती है
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 4:18am

आदरणीय वीनस सर जी आपको ग़ज़ल पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. आप जैसे अरुजी जब दाद देते है तो उत्साह सौ गुना बढ़ जाता है. आपका तहे दिल से शुक्रिया. आभार ...

Comment by वीनस केसरी on December 26, 2014 at 4:07am

हुकूमत जुल्म किस पर कर रही है
सभी  खामोश  अपनी  बेबसी  से

वाह क्या कहने


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 12:40am

आदरणीय प्रतिभा जी आपको रचना पसंद आई ..बहुत अच्छी लगी मेरा सौभाग्य है . इस प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभारी हूँ , हार्दिक धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service