For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर (नवगीत )

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर

 

सहिष्णुता की ऊन का गोला

सलाइयाँ सद्व्यवहार  की   

 रंग रंग के  डालें बूटे

मनुसाई  कतारें  प्यार की

करें बुनाई सब मिलजुल कर

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर

 

अब सर्दी का लगा महीना

देश मेरा ये थर-थर काँपे

एक-एक मिल भरें उष्णता

शाल बना  कांधों पर ढापें

धूप-धूप गूँथे प्रभाकर      

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर

 

हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई

साथ-साथ मिल करें सिलाई

अनुशासन का मिश्रित धागा

लोकतंत्र  की करें कढाई

ऐसे बने विचक्षण बुनकर

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर

 

 

ग्रंथि पड़े  तो मिलकर खोलें

हो अस्वच्छ तो मिलकर धोलें

ज्ञान समृद्धि के  फंदों में    

स्वच्छता के अंकुर बोलें

स्वास्थ्य तभी बनेगा बेहतर  

आ चल बुनें राष्ट्रीय स्वेटर

------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 12:10pm

प्रिय छाया शुक्ला जी,आपको ये स्वेटर पसंद आया तो समझो मेरा लेखन सार्थक हो गया ,इस प्यारी प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार | 

Comment by Chhaya Shukla on November 25, 2014 at 11:57am

क्या बात है बहन राजेश जी
इस स्वेटर का तो बस इन्तजार ही था

सहिष्णुता की ऊन का गोला

सलाइयाँ सद्व्यवहार  की   

 रंग रंग के  डालें बूटे

मनुसाई  कतारें  प्यार की

करें बुनाई सब मिलजुल कर

आ चल बुने राष्ट्रीय स्वेटर

 शुरुआत ही इतनी प्यारी है कि पाठक वाचन को विवश हो उठेगा |
बधाई बहन सुंदर नवगीत के लिए |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 11:17am

लक्ष्मण भैय्या आपको ये नवगीत रुचिकर लगा मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |भैया  ये शब्द विचक्षण ही है जिसका अर्थ है निपुण ,सक्षम ,समर्थ .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2014 at 11:00am

आदरणीय बहन राजेश जी एक बहुत ही सार्थक नवगीत हुआ है । कोटि कोटि बधाई । एक अनुरोध है तीसरे खंड की पांचवी पंक्ति में विचक्षण शब्द कही विलक्षण तो नहीं है स्पष्ट करें । शेष सादर.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 10:55am

आ० विजय निकोर जी,आपको नवगीत पसंद आया दिल से आभार आपका | 

Comment by vijay nikore on November 25, 2014 at 10:38am

अति सुन्दर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 10:34am

आ० उमेश कटारा  जी ,आपकी टिपण्णी से अभिभूत हूँ हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 10:30am

आ० गिरिराज जी,आपका बहुत- बहुत आभार .आपको नवगीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 10:28am

आ० गणेश बागी जी,प्रस्तुति आपकी प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुई दिल से आभारी हूँ  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 10:27am

आ० डॉ० गोपाल नारायण जी,आपकी प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी को नव ऊर्जा प्राप्त होती है रचना पर आपका अनुमोदन पाकर मुग्ध हूँ ,दिल से शत- शत आभार ,सादर    

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service