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"क्या बात, आज क्लास अटेंड नहीं कर रही हो?"
"नहीं यार, एक नया मुर्गा फसा है आज तो बस रेस्टोरेंट और थियेटर।"

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Shyam Narain Verma on November 21, 2014 at 4:07pm

सुंदर लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by किशन कुमार "आजाद" on November 21, 2014 at 2:11pm
नही सोमेश जी इसके लिए गध में इक नई विधा का नाम दिया जाना चाहिए । जब कविता के नये रुप या पर्योग को नए नाम दिए जा सकते है तो लघु कथाओ के नये रूप को क्यों नही और आजकल तो हिंदी समाचार पत्र भी लिखने लगे है छोटी सी लघुकथा या दो लाइनों की कहानी
Comment by somesh kumar on November 21, 2014 at 11:02am

शायद आज के समय के प्रसंग में सटीक बैठती है ये लघुकथा |पर अब लघुकथाएँ मन में एक दुविधा भी पैदा करने लगी हैं ,क्या लघुकथा 

सिर्फ एक जुमला भर होनी चाहिए ,एक ऐसा कथन जो व्यंग्य हो या चुटकला |मानता हूँ लघुकथा ,इस व्यस्त दुनियाँ में चलते-चलते पढ़ने के लिए लिखी जाती है ,जहाँ टेस्ट क्रिकेट 20-20 के आगे फीका लगने लगा है वहाँ लघुकथा समय की अवश्यकता तो हैं पर उनमें भावना-भावों के लिए कोई स्थान होना चाहिए ?क्या ये माना जाना चाहिए कि लघुकथा बढ़ते बाजारवाद  और भारी व्यस्तता का परिणाम हैं का परिणाम है जहाँ किताबों के नाम से उसके कंटेंट को समझा जाना चाहिए |दुसरे अर्थों में क्या ये तथकथित बुद्धिजीवी वर्ग का साहित्य है जहाँ साधारण समझ के लिए कोई जगह नहीं है |

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