For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पानी को तलवार से काटते क्यों हो ? /नीरज नीर

पानी को तलवार से काटते क्यों हो ?

हिन्दी हैं हम सब, हमे बांटते क्यों हो ?

चरखे पे मजहब की पूनी चढ़ा कर के ,
सूत नफरत की यहाँ काटते क्यों हो ?

हो सभी को आईना फिरते दिखाते ,
आईने से खुद मगर भागते क्यों हो ?

गर करोगे प्यार , बदले  वही पाओगे,
वास्ता मजहब का दे, मांगते क्यों हो ?

भर लिया है खूब तुमने तिजोरी तो ,
चैन से सो, रातों को जागते क्यों हो ?

दाम कौड़ियों के हो बेचते सच को
रोच परचम झूठ का छापते क्यों हो ?

धर्म और ईमान के गर मुहाफ़िज़ हो
मज़लूमों को फिर भला मारते क्यों हो ?

नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on September 14, 2014 at 7:09pm

आदरणीय भाई राम शिरोमणी पाठक जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका। 

Comment by Neeraj Neer on September 14, 2014 at 7:05pm

 Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' साहब आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by Neeraj Neer on September 14, 2014 at 7:04pm

...आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ । 

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2014 at 11:03am
वाह वाह वाह क्या ग़ज़ल कही आपने आदरणीय नीरज जी बहुत बहुत बधाई आपको।।। सादर
Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 7, 2014 at 8:55pm

पानी को तलवार से काटते क्यों हो ?

हिन्दी हैं हम सब, हमे बांटते क्यों हो ?

सटीक बात कही है। सभी बंध बहुत सुंदर बन पड़े़ हैं। ग़ज़ल की बारीकियाँ नहीं जानता। भाव और शब्‍दों को सुंदर पिरोया है। साधुवाद। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:51pm

आदरणीय नीरज भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें |

Comment by Neeraj Neer on September 7, 2014 at 5:50pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत धन्यवाद। 

Comment by Neeraj Neer on September 7, 2014 at 5:49pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका । 

Comment by Neeraj Neer on September 7, 2014 at 5:48pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी इस उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार । टायपिंग  की गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए बहुत धन्यवाद  ॥ 

Comment by Neeraj Neer on September 7, 2014 at 5:46pm

डॉ विजय शंकर जी आपका हार्दिक आभार।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service