For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबकुछ जाने सबकुछ समझे  

पागल ये फिर भी धुन है

औचक टूट गए सपनों की

उचटी आँखों की धुन है |

 

इस धुन की ना जीभ सलामत

ना इस धुन के होठ सलामत   

लँगड़े, बहरे, अंधे मन की  

व्याकुल ये कैसी धुन है |  

 

खेल-खिलौने टूटे-फूटे   

भरे पोटली चिथड़े-पुथड़े

अत्तल-पत्तल बाँह दबाए

खोले-बाँधे की धुन है |

 

क्या खोया-पाना, ना पाना  

अता-पता न कोई ठिकाना

भरे शहर की अटरी-पटरी  

पर गिरती-पड़ती धुन है |

 

फूटा लोटा, टूटी डोरी  

भठे कुएँ पर खड़ा बटोही

बेसुध कंकड़-पत्थर भरती   

ये कैसी प्यासी धुन है |

 

किए-धरे का लेखा-जोखा

झाड़ों ने कब तौला-देखा  

काँटों में घायल पंखों की  

ज्यों फड़फड़ करती धुन है |

 

ऐसा होता, वैसा होता   

तो आज समय कैसा होता   

बीती बातों को धुनने की

बेमतलब गुनती धुन है |

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

-- संतलाल करुण       

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madan Mohan saxena on December 3, 2014 at 3:14pm

बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2014 at 9:17pm

//आप की प्रतिक्रिया के बाद मैंने गीत के शिल्प पर पुन: गौर किया और एक स्थान पर किंचित परिवर्तन कर पाया हूँ, पर अब और कुछ नहीं हो सकता //

आपकी रचना १६-१४ की यति पर मात्रिक छन्द की तरह चल रही है. इसीको प्रत्येक बन्द में निभाना है.

संशोधन के बाद इसे बहुत हद तक निभाया गया है.  मुखड़े के दोनों पदों या पंक्तियों में १६-१४ की यति है जबकि बन्द में १६-१६ यति के बाद अगले पद में आपने १६-१४ को बना रखा है. यह मात्रिक प्रबन्ध एक स्वीकार्य स्थिति बनाता है.

सादर धन्यवाद आदरणीय

Comment by Santlal Karun on September 9, 2014 at 7:16pm

आदरणीया अनुपमा जी,

गीत की सराहना के लिए हार्दिक आभार !

Comment by annapurna bajpai on September 7, 2014 at 5:43pm

अति सुंदर गीत , सुंदर भावों को समेटे हुये , आपको बहुत बधाई आ0 संत लाल जी 

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:22pm

आदरणीय महिमा श्री जी,

गीत पर प्रशंसात्मक भावों के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:19pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी,

गीत पर श्लाघात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:18pm

आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान जी,

गीत की सराहना के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:16pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,

गीत को लेकर आप के प्रेरक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:14pm

आदरणीया वन्दना जी,

गीत की प्रशंसा के लिए सहृदय आभार !

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:12pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

गीतपरक भावभूमि, संदर्भगत तथ्य और उसके के मर्म की आनुभूतिक प्रतिक्रिया के लिए हृदयपूर्वक आभार ! आप की प्रतिक्रिया के बाद मैंने गीत के शिल्प पर पुन: गौर किया और एक स्थान पर किंचित परिवर्तन कर पाया हूँ, पर अब और कुछ नहीं हो सकता | 

सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service