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एक नवजात के नाम - (रवि प्रकाश)

कौन है तू, मौन मेरा या मुखर संगीत है,

शब्द है कोई मधुर या भाव शब्दातीत है।
रंग है या रेख केवल,चित्र है या तूलिका,
शेर है मेरी ग़ज़ल का,नज़्म या नवगीत है॥
.
कुछ पुरानी भंगिमाएँ,कुछ नई मुस्कान है,
सिसकियों में सुर सजे हैं,आह में भी गान है।
खोजते हैं लोग मेरा अक्स तेरी आँख में,
तू जहां से और तुझ से ये जहां हैरान है॥
.
नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,
बारिशों में सुन सके तू गीत कोई अनसुना॥
.
झुटपुटे में शाम के जब चाँद का झूमर हिले,
रात की रानाइयों में चाँदनी तुझ पर खिले।
गाल पे बिखरा करेगी भोर की जो लालिमा,
दोपहर का ताप भी तेरी अदाओं को मिले॥
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-15.04.2014

Views: 727

Comment

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Comment by Ravi Prakash on May 28, 2014 at 7:46pm
इतनी सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आदरणीय। आपको रचना अच्छी लगी, जान कर मन को आनंद प्राप्त हुआ। स्नेह एवं आशीर्वाद बनाए रखें।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:25pm

नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,
बारिशों में सुन सके तू गीत कोई अनसुना॥- बहुत खूब | बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए वाह ! वाह ! और वाह |

Comment by Ravi Prakash on May 28, 2014 at 2:42pm
आ॰ श्रीवास्तव जी,रचना को इतना स्नेह और नवजात को आशीर्वाद देने पर कोटिश: धन्यवाद।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 2:27pm

प्रिय रवि प्रकाश जी

क्या सुन्दर रचना की है आपने i एक एक शब्द चुने हुए i  सुर ताल दुरुस्त i भाव भी सशक्त i

अगर जिन्दगी में कोई नवजात आया हो तो यह गीत उसे समर्पित करे  i मेरी शत-शत बधाई i

Comment by Ravi Prakash on May 27, 2014 at 11:00pm
धन्यवाद आ॰ मीना जी।
Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 10:52pm

बहुत खूब ..बधाई 

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