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मजदूर

---------

चौक में लगी भीड़

मै चौंका , कहीं कोई घायल

अधमरा तो नहीं पड़ा

कौतूहल, झाँका अन्दर  बढ़ा

वापस मुड़ा कुछ नहीं दिखा

'बाबू' आवाज सुन

पीछे मुड़ा

इधर सुनिये !

उस मुटल्ले  को मत लीजिये

चार  चमचे साथ है जाते

दलाल है , हराम की  खाते

एक दिन का काम

चार दिन में करेगा

नशे में दिन भर बुत रहेगा

बच्चे को बुखार है

बीबी बीमार है

रोटी की जरुरत हमें है बाबू

हम हैं, हम साथी ढूंढ लेंगे

मजदूरी भले बीस कम- देना

कुछ बीड़ी  फूंकते

तमाखू ठोंकते

कुछ खांसते हाँफते

कुछ हंसी -ठिठोली करते

चौक को घेर खड़े थे

मानों कोई अदालत हो

निर्णय लेगी

फैसला रोटी के हक़ का

आँख से पट्टी हटा देखेगी

टूटी -फूटी साइकिलें

टूटी  -सिली चप्पलें

पैरों में फटी विवाई

मैले -कुचैले कपडे

माथे पे पड़ी सिलवटें

घबराहट

मजदूर बिकते हैं

श्रम भूखा रहता है

बचपन बूढा हो रहा

कहीं बाप सा बूढा

कमर पर हाथ रखे

सीधे खड़े होने की कोशिश में लगा

 

एक के पीछे , चार भागते

फिर मायूस , सौदा नहीं पटा 

काश कोई मालिक मिलता

चना गुड खिलाता 

चाय पिलाता

नहीं तो भैया , काका बोलता

बतियाता व्यथा सुनता

और शाम को हाथ में मजदूरी ...

किस्मत के मारे बुरे फंसे

कंजूस सेठ से पाला पड़ा

बीड़ी पीने तक की मोहलत नहीं

झिड़कियां , गालियां पैसा कटा -

मिल जाएँ तो अहसान लदा 

कातर नजरें मेरा मन कचोट गयीं

मैंने बड़ी दरियादिली का काम किया

बीस  रुपये निकाल हाथ में दिया

खा लेना , काका मै चला

बाबू ! गरीब के साथ मजाक क्यों ?

किस्मत भी ,आप भी, सभी

काम दीजिये नहीं ये बीस ले लीजिये

भूखे पेट का भी सम्मान है

अभिमान है श्रम का

मै सोचता रहा

और वो अपनी पोटली खोल

एक कोने में बैठ गया

कुछ दाने, चबाने- खाने

न जाने क्यों

मेरे कानों में शब्द गूंजते रहे

काम दीजिये

काम दीजिये

बच्चे को बुखार है

मजदूर इतने ..

मजबूर कितने ......

================

"मौलिक व अप्रकाशित" 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

११.१५-११.४५ मध्याह्न

२६.२.२०१४

करतारपुर जालंधर पंजाब

Views: 702

Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 1, 2014 at 9:51am

आदरणीया मीना जी आज श्रमिक दिवस पर आप ने इस रचना को मान दिया और प्रोत्साहन दिया आभार आइये सभी मिल अपने मजदूर भाइयों के प्रति उदार रहें और उन्हें उनका अधिकार दिलाएं
भ्रमर ५

Comment by Meena Pathak on April 30, 2014 at 10:24pm

बहुत सुन्दर रचना ...सादर बधाई 

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