For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संदेसा भेज दे ,कान्हा को कोई ----(कुडंली छंद)

कुडंली छंद 

छंद-लक्षण: जाति त्रैलोक लोक , प्रति चरण मात्रा २१ मात्रा, चरणांत गुरु गुरु (यगण, मगण), यति ११-१०।

अँखियों से झर रहे,बूँद-बूँद मोती,

राधा पग-पग फिरे,विरह बीज बोती|

सोच रही काश मैं ,कान्हा  सँग होती,

चूम-चूम बाँसुरी,अँसुवन से धोती|

 

मथुरा पँहुचे सखी ,भूले कन्हाई,  

वृन्दावन नम हुआ ,पसरी तन्हाई|

मुरझाई देखता ,बगिया का माली,

तक-तक राह जमुना ,भई बहुत काली|

 

 खग,मृग, अम्बर, धरा,हँसना सब भूलें,  

 जूही ,टेसू, कमल ,महुआ ना फूलें|

 पूछ रही डालियाँ ,कौन संग झूलें,   

 निष्ठुर, निष्पंद हिय, उठती हैं हूलें|   

 

 

कोयलिया डार पर ,कुहुक-कुहुक रोई,

बीतें जग-जग दिवस ,रतियाँ न सोई|

बिरही  पगडंडियाँ , शूल- शूल बोई, 

 संदेसा भेज दे ,कान्हा  को  कोई|    

----------------------------------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:10am

प्रिय सावित्री राठौर जी, आपको ये छंद पसंद आया आपका हार्दिक आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:08am

प्रिय प्राची जी, प्रस्तुति पर आपकी सराहना मुझे प्रस्तुति के लिए आश्वस्त करती है हार्दिक आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:07am

प्रिय विंदु बाबू जी, आपका हार्दिक आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:06am

आ० कल्पना रामानी जी, आपको ये छंद गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ,आपको ह्रदय तल से आभार प्रेषित है  

Comment by Savitri Rathore on May 8, 2014 at 11:22pm

आ ० राजेश जी,सुन्दर विरह वर्णन क़ी भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु आप बधाई की पात्रा हो। बहुत बहुत बधाई !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 8:11am

कान्हा के विरह में वृन्दावन के पात पात डाली डाली की विरह तड़प को बहुत सुन्दरता से संवेदनशीलता से शब्दबद्ध किया है आदरणीया राजेश कुमारी जी 

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by Vindu Babu on May 6, 2014 at 5:11am
सुंदर कुंडलियाँ..सुंदर भाव।
आपको हार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर
Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2014 at 8:18pm

बहुत सुंदर छंद गीत! हार्दिक बधाई आपको आदरणीया राजेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 2, 2014 at 9:54am

प्रिय सरिता ,आपको ये छंद रुचिकर लगा मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हृदय से आभारी हूँ. 

Comment by Sarita Bhatia on May 2, 2014 at 9:28am

वाह दी एक नए छंद के ज्ञान के साथ कितनी प्यारी रचना हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service