For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फायदा क्‍या गजल

2122 2122 1222

क्‍या शिकायत करू मैं इस जमानें से

फायदा क्‍या है किसी को बतानें से

अब मजारो की तरफ यूँ न देखो तुम

आ सकेगें हम न आँसू बहानें से

बदनसीबी साथ मेरे उम्र भर थी

सो रहा हूँ चोट खा कर जमानें से

यार मेरे तुम बहाओ न अश्‍को को

फायदा क्‍या अब यहाँ दिल जलानें से

रूठ कर हम से चले ही गये वो जब

साथ ना अब तो मिले कुछ बतानें से

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 20, 2014 at 5:18pm

 आदरणीय मंच संचालक महोदय अग्रजो की राय एवं मार्गदर्शन के अनुसार मेरी गजल में संसोधन कर इस गजल को पोस्‍ट करने की क़पा करे

क्‍या शिकायत मैं करू इस जमाने से

फायदा क्‍या है किसी को बताने से

अब मजारों की तरफ यूँ न देखो तुम

आ सकेगें वो न आँसू बहाने से

बदनसीबी साथ मेरे उम्र भर थी

सो रहा हूँ चोट खा कर जमाने से

यार मेरे तुम बहाओ न अश्‍कों को

फायदा क्‍या अब यहाँ दिल जलाने से

रूठ कर हम से चले ही गये वो जब

साथ ना अब तो मिले कुछ बताने से

Comment by Akhand Gahmari on April 20, 2014 at 11:36am

आदरणीय राम शिरोमणी पाठक जी रचना पर पर्याप्‍त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्‍वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे

Comment by Akhand Gahmari on April 20, 2014 at 11:36am

आदरणीय अरून शर्मा जी रचना पर पर्याप्‍त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्‍वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे

Comment by Akhand Gahmari on April 20, 2014 at 11:35am

आदरणीय ब्रजेश नीरज जी रचना पर पर्याप्‍त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्‍वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे

Comment by Akhand Gahmari on April 20, 2014 at 11:35am

आदरणीया गीतिका वेदिका जी रचना पर पर्याप्‍त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्‍वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे

Comment by ram shiromani pathak on April 20, 2014 at 10:48am

सुन्दर प्रस्तुति भाई जी  ..........  हार्दिक बधाई आपको 

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 8:34am

आपका प्रयास सही दिशा में है! अरुण भाई की बात पर ध्यान दें.

गीतिका जी ने सही कहा है! //बतानें, बहानें, जमानें, जलानें// ये सारे शब्द गलत हैं! यहाँ पर 'ने' के ऊपर बिन्दी का प्रयोग सही नहीं है! रुचिकर बात यह कि आपने 'मजारो, अश्‍को' में 'अं' का प्रयोग नहीं किया. सही शब्द ' मजारों' और 'अश्कों' होने चाहिए.

इस सद्प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 19, 2014 at 5:20pm

आदरणीय अखंड भाई जी मतले ने ही मुझे रोक दिया आगे बढ़ने से मतले की तक्तीअ करने से ही ग़ज़ल ख़ारिज हो जाती है जरा देखिये.

  2   1  2  2  1 2  2   2  1 2 2 2

क्‍या शिकायत करू मैं इस जमानें से

2 1 2   2    2 1 2   2   1 2 2 2

फायदा क्‍या है किसी को बतानें से

बह्र एक समान नहीं है. सुधार करने का पुनः प्रयास करें.

Comment by वेदिका on April 18, 2014 at 1:05am
दूसरे शेअर में वचन सम्बन्धी दोष प्रतीत हो रहा है, गुरुजन से मार्गदर्शन चाहूंगी।
आपने रदीफ़ में जो अं की मात्रा ली है क्या उसका उपयोग उचित है? आपसे मार्गदर्शन की आकांक्षा है।
सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारिये!!
Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:20pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीय भुवन निस्तेज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service