For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत शोर है यहाँ......

बहुत शोर है यहाँ

बहुत ज़्यादा

मैं कैसे वो आवाज़ सुन सकूँ

जो मेरे लिए है

 

कितनी ही देर कानों पर हाथ लगा

सब अनसुना करती रही

लेकिन

शोर इतना है कि मेरी हथेलियों को

भेद कर मेरे कानों पर बरस पड़ता है

मष्तिष्क की हर नब्ज़ थर्राने लगी है

नसों में आक्रोश भर गया है

 

अजीब शोर है यहाँ

जलन, ईर्षा, द्वेष, अपमान का,

भेदभाव का शोर

धधकता, जलाता शोर

इस तरहा बढ़ता जाता है कि

इच्छाशक्ति इसके प्रभाव से

क्षीण होती जाती है

कैसे सहन करूँ?

किस तरहा निर्वाह करूँ?

 

कई बार निश्चय किया

आवाज़ उठाऊँ, परास्त कर दूँ

इन कर्कश स्वरों को

पर अपनों से युद्ध,

जीतना और

शिकस्त देना आसान नहीं है

 

मन का एक कोना

रोता है, बिलखता है जो अक्सर

भय से, आश्चर्य से घटित हो रहे

सिलसिलेवार आघात पर चौंकता है

 

रोज़ सवाल उठता है

कैसे अपने ही

घातक प्रहार कर देते हैं मन पर,

ह्रदय पर, भावनाओं पर

जिसकी चोट सीधे आत्मा को लगती है

और जिसके ज़ख्म

गहरे बहुत गहरे होते जाते हैं

जो दुखते है, चुभते है और रिसते हैं

 

ये कैसा शोर और किस कारण

आपसी द्वेष, नासमझी या

आपसी प्रतियोगिता के कारण

 

अपनों का होना सहारा होना है या

इस प्रकार के बैर का होना

जैसे निर्रथक, खोखला, बेमायने और

बेमतलब होना……..

 

इस शोर को ख़त्म करना है

प्रयत्न बहुत हुए अब तक पर

अब प्रण करना है

इस शोर में

अपनी आवाज़ को बुलन्द करना है

 

हाँ अब.........

सब को ख़ामोश करना है …….…

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

प्रियंका……

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:37am

आदरणीया सौरभ सर ....बहुत बहुत शुक्रिया आपका .....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:36am

आदरणीया प्राची जी ....आपकी नज़र और रचना पर प्रतिक्रिया के लिए ....बहुत बहुत आभार ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:34am

आदरणीय जितेन्द्र सर...रचना की पसंदगी और सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आपका .....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:32am

 आदरणीय बृजेश सर....रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:30am

आदरणीय विजय सर जी.......रचना आपको अच्छी लगी, मेरा लिखना सार्थक हुआ।

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:26am

आदरणीय ओमप्रकाश सर .....बहुत बहुत आभार आपकी प्रशंसा के लिए ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:25am

आदरणीय गिरीराज सर .....ये सामाजिक कुरीति है और इतना शोर है की मुझे लिखने पर मज़बूर कर दिया ......मेरी रचना को आपकी नज़र मिली ....बहुत बहुत आभार आपका ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:23am

आदरणीय श्याम जी ....आपकी पसंदगी का शुक्रिया.... 

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:22am

आदरणीय शिज्जू सर ....बहुत बहुत शुक्रिया आपका ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 8:03pm

एक अच्छी कविता को साझा करने के लिए धन्यवाद.

हार्दिक शुभकामनाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service