For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम्हें उपहार दूँ : एक गीत (नीरज कुमार नीर)

क्या तुम्हें उपहार दूँ,

प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.

 

तुम वसंत हो, अनुगामी

जिसका पर्णपात नहीं.

सुमन सुगंध सी संगिनी,

राग द्वेष की बात नहीं.

 

शब्द अपूर्ण वर्णन को

ईश्वर के वरदान का.

 

विकट ताप में अम्बुद री,

प्रशांत शीतल छांव सी,

तप्त मरू में दिख जाए,

हरियाली इक गाँव की.

 

कहो कैसे बखान करूँ

पूर्ण हुए अरमान का.

 

मैं पतंग तुम डोर प्रिय,

तुम बिन गगन अछूता है.

तुमसे बंधकर  जीवन

व्योम उत्कर्ष छूता है.

 

तुम ही कथाकार हो, इस

जीवन के आख्यान का.

 

क्या तुम्हें उपहार दूँ,

प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 10:27am

खेद है, भाईजी, अपनी व्यस्तता के कारण रचना पर समय से नहीं आ पाया. किन्तु यह किसी रचना की अपनी गरिमा ही हुआ करती है कि पाठक अधिक दिन उससे दूर नहीं रह सकते.
शुभ-शुभ
 

Comment by Neeraj Neer on March 4, 2014 at 8:47am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी , मैं कब से इस रचना पर आपका इंतज़ार कर रहा था .. आपका धन्यवाद .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 1:25am

बहुत सजग प्रयास हुआ है. सुझावों पर ध्यान दीजियेगा.

शुभेच्छाएँ

Comment by Neeraj Neer on February 12, 2014 at 7:58pm

आदरणीय जीतेंद्र गीत साहब आपका बहुत बहुत आभार.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 12, 2014 at 9:37am

मैं पतंग तुम डोर प्रिय,

तुम बिन गगन अछूता है.

तुमसे बंधकर  जीवन

व्योम उत्कर्ष छूता है............बेहद खुबसूरत, प्रेम के रिश्ते को बहुत सुंदर शब्द मिले

बहुत बहुत बधाई आदरणीय नीरज जी

 

Comment by Neeraj Neer on February 12, 2014 at 9:29am

आदरणीया शशि पुरवार जी आपका हार्दिक आभार ... 

Comment by Neeraj Neer on February 11, 2014 at 10:37pm

आ. महिमा श्री जी आपका बहुत बहुत आभार जी ..

Comment by Neeraj Neer on February 11, 2014 at 10:36pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा आपका ह्रदय तल से आभार और आपकी सलाह भी गाँठ बाँध ली .. सीख रहा हूँ , आप लोग स्नेह बनाये रखें एक दिन पक्का हो जाऊंगा :)

Comment by Neeraj Neer on February 11, 2014 at 10:35pm

आ. शिज्जू शकूर साहब आपका हार्दिक धन्यवाद.

Comment by shashi purwar on February 11, 2014 at 10:34pm

सुन्दर भावो से सजा हुआ कोमल गीत हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service