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"ऐ मीनरी !! जा जरा पानी तो ले के आ , उफ़ गर्मी भी कितनी हो रही हैं अभी ब्लाक में एक मीटिंग में जाना हैं बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत हैं आज वहां "
"इत्ती देर लगे क्या पानी लाने में !! एक तो भगवान् ने मेरी किस्मत में तीन तीन छोरिया लिख दी " ऊपर से सारा दिन किताबो में घुसी रहती है यह नही की घर का कम काज सीखे कलक्टर बनके सर पे नाचने के सपने देख रही ! " राना जी झल्लाते हुए जोर से चिल्लाये और पत्नी डर के मारे पानी का गिलास लिए उनके सामने पल्लू मुह में दबाये आन खड़ी हुयी .. क्या हैं यह !!! हैं !! ज्यादा सर पे न चढ़ा इन बावलियो को एक तो तीन तीन जन दी तूने उस पर सपने देखो इनके महारानियो के, चुपचाप घर का काम काज सिखा इन्हें .....जल्दी ही ब्याह कर दूंगा इनका जाये अपने सासरे कब तक बोझ ढोऊ इनका " " जा मेरा छाता और जूता ले के आ "
राना जी ब्लाक स्तर पर मुख्य पार्टी के अध्यक्ष मनोनीत किये गये थे आज उनको बेटी बचाओ पर भाषण देना था . उनके घर से जाते ही बेटी ने उनकी कुर्सी पर पड़े रह गये कागज को उठाया और जोर जोर से पढने लगी " बेटी किस्मत वालो के घर ही जन्म लेती हैं , उनके होने से घर स्वर्ग बन जाता हैं , एक बेटी को पढ़ाने से दो घरो का भला होता हैं आज बेटियाँ ही बेटो से ज्यादा समाज और संसार में नाम रोशन कर रही हैं ..... बेटी के जन्म को खुले दिल से अस्वीकार करने वाले मानव मात्र पर धब्बा हैं आखिर उन्होंने भी एक माँ की कोख से जन्म लिया हैं .मुझे गर्व हैं मैं तीन बेटियों का पिता हूँ मेरी बेटिया पूरे सम्मान के साथ घर पर अपने ऊँचे सपनो की उड़ान भर रही हैं " पढ़ते पढ़ते मीना की आवाज रूंध गयी आँखे अविरल बहने लगी और उसने डबडबायी आँखों से माँ की तरफ देखा और फूट फूट कर रोने लगी....कागज का पुर्जा हवा में फडफडा रहा था………

(मौलिक एव अप्रकाशित)

प्रियंका.......

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Comment by vijay nikore on January 28, 2014 at 11:39am

बेटी घर का धन है, बेटी समाज का धन है। बेटिओं को, माताओं को, महिलाओं को आवाज़ उठानी होगी, आंदोलन करना होगा, और हम पुरुषों को उनका साथ देना होगा, समर्थन करना होगा। यह सब कठिन होगा, पर हम कठिनाई को कठिन कह कर चुप नहीं रह सक्ते। यह कहानी लिखने के लिए आपको बधाई।

Comment by Saarthi Baidyanath on January 28, 2014 at 11:03am

बेजोड़ कहन ...सुन्दर अभिव्यक्ति एक चोट करती हुई !

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:50pm

आदरणीय लछमन सर ..बहुत बहुत शुक्रिया आपका...

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:48pm

ब्रजेश जी.... आभार आपका ...

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:47pm

वंदना जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका .....

Comment by बृजेश नीरज on January 27, 2014 at 10:45pm

अच्छी लघु कथा है! आपको हार्दिक बधाई!

Punctuation का गद्य में बहुत महत्व होता है!

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:45pm

आदरणीय गिरिराज सर ...आपको रचना पसंद आयी.... अच्छा लगा ...बहुत बहुत आभार आपका ....

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:40pm

मीना जी ...रचना की पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया ....

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:37pm

अरविन्द जी ...आभार आपका ...

Comment by Priyanka singh on January 27, 2014 at 10:02pm

शुक्रिया नीरज जी .....

कृपया ध्यान दे...

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