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मौत के साथ आशिकी होगी (अरुन 'अनन्त')

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,

उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,

आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,

नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,

आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by coontee mukerji on December 25, 2013 at 9:24pm

मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,.........बहुत खूब.

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 25, 2013 at 8:07pm

वाह शेर दर शेर सीधे दिल में उतरते चले गये बेहतरीन ग़ज़ल हुई है सर
सादर

नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 4:28pm

आदरणीय अरुण भाई , पूरी गज़ल लाजवाब है , हर शे र एक से बढ के एक ॥ आपको ढेरों बधाइयाँ ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 25, 2013 at 3:08pm

नीरज भाई बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल आपको पसंद आई सार्थक हुई

Comment by Neeraj Nishchal on December 25, 2013 at 3:03pm

मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,

आपकी इन पंक्तियों के लिए कहना चाहूंगा
बिलकुल मौत पर ज़िन्दगी ख़तम नही होती
बल्कि पूरी ही होती है बहुत ही सार्थक बात कही

उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,

उम्र का हर पड़ाव अंतिम ही है न जाने कौन सी

सांस आखिरी हो ऐसा जानकर ही हमे अभिमान रहित
होकर जीना चाहिए बहुत ही सुन्दर

और आपकी पूरी ग़ज़ल बहुत ही खूबसूरत है
बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।

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