For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोटिल अनुभूतियाँ

कुंठित संवेदनाएँ

अवगुंठित भाव

बिन्दु-बिन्दु विलयित

संलीन

अवचेतन की रहस्यमयी पर्तों में

 

पर

इस सांद्रता प्रजनित गहनतम तिमिर में भी

है प्रकाश बिंदु-

अंतस के दूरस्थ छोर पर

शून्य से पूर्व

प्रज्ज्वलित है अग्नि

संतप्त स्थानक 

 

चैतन्यता प्रयासरत कि

अद्रवित रहें अभिव्यक्तियाँ

 

फिर भी

अक्षरियों की हलचल से प्रस्फुटित

क्लिष्ट, जटिल शब्दाकृतियों का चेहरा

पिघला है-

व्युत्पन्न अदृश्य धारा के पदचिन्ह

शेष हैं अभी

 

सतर में अर्थ की तलाश है

 

- बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 1300

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on December 2, 2013 at 5:13pm

बृजेश जी,आपकी गहन कृति से आपकी एक और प्रतिभा से हम रूबरू हुए. सहज लिखना,ओजपूर्ण लिखना जहाँ आपकी विशेषताएँ है वही आपके पांडित्यपूर्ण रचना ने हमें अभिभूत कर दिया.

सादर

कुंती.

Comment by Meena Pathak on December 2, 2013 at 2:05pm

बहुत बहुत बधाई इस निःशब्द करती रचना हेतु | सादर 

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 12:32pm

आदरणीय राजेश भाई आपका हार्दिक आभार! :)))))))))

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 12:10pm

आदरणीय, प्रस्‍तुति तो लाजवाब है पर एक बात पूछना चाहता हूं, इस रचना पर पड़ी ये गहरी छाप किसकी है ।

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 11:13am

आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार!

रचना की गहनता पर आपकी कृपा दृष्टि कृतार्थ कर रही है!

सादर!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:07am

फिर भी

अक्षरियों की हलचल से प्रस्फुटित

क्लिष्ट, जटिल शब्दाकृतियों का चेहरा

पिघला है-

कुंठा और संवेदना मिल कर अभिव्यक्त होकर अक्षर से किस तरह शब्द रूप मे ढल कर एक आयाम को प्राप्त होते है, जिसे अर्थ की उत्पत्ति होती है| इस क्लिष्ट मार्ग को पाने के लिए संकेत पूर्व निर्धारित नही होते! रचना की मुखरता पर हार्दिक बधाई स्वीकारिए आ० बृजेश भाई जी!    

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 10:56am

आदरणीय राहुल भाई, आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service