For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निरंतरता .... (विजय निकोर)

निरंतरता

 

निरंतरता?

निरंतरता क्या है?

यही न

कि पलक के झपकते ही यहाँ

सब बदल जाता है निरंतर

उतर-उतर जाता है दिन

फिसलते हर पल की तरह ...

मेरे उसे जी लेने से पहले

 

बार-बार

बदल-बदल जाने की निरंतरता

 

"कल के वायदे

कल के थे

आज की बात कुछ और"

मात्र इतना ही कह कर

बदल जाते हैं दिल ...

हाथ में आया न आया तब

सब छूट जाता है, टूट जाता है

मन का नियंत्रण

मिट्टी के खिलोने की तरह

 

बार-बार

टूट-टूट जाने की निरंतरता ...

 

परछाईं भी हिलती है, सहमी, दबे पाँव

पेड़ों की फैली नंगी बाहों के बीच

उड़ते सूखे पत्ते भी भागते हैं

दूर, पेड़ों से... अपनों से ... डरते

बचे हुए कुछ पत्तों की सर-सर से

टूट जाता है वक्त का ठहराव

मौसम-पेड़-पत्ते सह लेते हैं बदलाव... सभी

एक मेरे सिवा

रह जाए न अभाव ... एकाकीपन का

कुछ और अकेला हो जाता हूँ

 

बार-बार

एकाकीपन की निरंतरता ...

 

निरंतरता के नाम

किया नहीं है क्या हमने

किसी से प्यार? 

चिपकी हैं हृद्य के शीशे पर

रिश्तों की धूल की परतें ... सीने में

------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 880

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 7:11pm

//मुग्ध हूँ; भाग्यवान हूँ कि आपकी रचना से रूबरू हो रहा हूँ//


माँ शारदा कि कृपा और आप जैसे सुहृद जनों की शुभ कामनाओं के लिए आभार।

स्नेह बनाए रखें, आदरणीय शरदिंदु जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 9:17am

//अद्भुत शायद यही शब्द इस रचना की उन्मुक्त प्रसंशा के लिए प्रयुक्त होना चाहिए

निरंतरता के माध्यम से दिल की बात कहना

ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब//

इन सुन्दर शब्दों से मुझको इतना मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय संदीप जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 9:13am

//सुंदर रचना , सुंदर भाव सम्प्रेषण//

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया अन्नपूर्णा जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 9:11am

//सच! फिर भी जीवन निरंतरता लिए हुए है, अथाह गहन भाव रचना में सदा की तरह//

आदरणीय जितेन्द्र जी, ऐसी सराहना के लिए हार्दिक आभार।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 9:08am

//महत्वपूर्ण प्रश्न से कविता का अंत किया है जो कि एक शुरुआत का आह्वाहन कर रहा है।//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया वंदना तिवारी जी।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on December 9, 2013 at 1:31am
श्रद्धेय, आपकी इस रचना को मैंने पोस्ट होने के बाद कुछ घंटे के अंदर ही देखा था लेकिन भावनाओं में ऐसा बह गया था इसे पढ़ने के बाद कि टिप्पणी लिखने का ख़्याल ही नहीं आया. उस भावना की 'निरंतरता' अभी भी बनी हुई है....अत: कोई औपचारिकता नहीं....बस मुग्ध हूँ; भाग्यवान हूँ कि आपकी रचना से रूबरू हो रहा हूँ इस मंच पर आकर. इस सुख की निरंतरता बनी रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है. सादर.
Comment by vijay nikore on December 8, 2013 at 1:48pm

//वाह ... गजब ....आपको पढना ... बस बहते जाना भाव और  शब्दों के ... तरंगों में//

आपसे मिले सराहना के शब्द मन को छू गए। आपका हार्दिक आभार, आदरणीया महिमा जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 8, 2013 at 1:46pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया सावित्री जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 8, 2013 at 1:44pm

//पेड़ों का बिम्ब तो अकल्पनीय कल्पना है और मूलतः यही आप हैं ,आपका परिचय है//

जी हाँ, सूखे पत्तों पर चलना युवा-अवस्था से ही अच्छा लगता रहा है।

कविता की सराहना के लिए हृद्य-तल से आभार, आदरणीय विजय मिश्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on December 8, 2013 at 1:40pm

 

//आपकी रचनाओं में चिंतन की विविधता सतत कुछ न कुछ सीखने का सुअवसर प्रदान करती है//

आपका हार्दिक धन्यवाद इन मूल्यवान शबदों के लिए, आदरणीय आशुतोष मिश्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service