For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

5+7+5+7……..+5+7+7 वर्ण

 

जीवन कैसा

एक चिटका शीशा

देह मिली है

बस पाप भरी है

भ्रम की छाया

यह मोह व माया

अहं का फंदा

मन दंभ से गन्दा

शब्द हैं झूठे

सब अर्थ हैं छूटे

तृप्ति कहीं न

सुख-चैन मिले न

फाँस चुभी है

एक पीर बसी है 

प्यास बढ़ी जो

अब आस छुटी जो

किसे पुकारें

अब कौन उबारे

एक सहारा

माँ यह तेरा द्वारा

हे जगदम्बे!

शरणागत तेरे

आरती गाऊँ

रज माथ लगाऊँ

आन उबारो

यह जीवन तारो

माँ जगदम्बे!

सुन! हे माता अम्बे!  

अब आ जगदम्बे!

   -  बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 879

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 15, 2013 at 6:33am

आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on October 15, 2013 at 6:33am

आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 5:07am

माता रानी का वंदन करता हुआ चोका से बेहतरीन चौका लगाया है आपने आदरणीय बृजेश जी...बधाई हो आपको...

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 14, 2013 at 10:16pm

चोका पहली बार पढा , लाजवाब , सुंदर अर्थ लिए , बधाई बृजेश जी।

Comment by MAHIMA SHREE on October 14, 2013 at 9:38pm

आदरणीय ब्रिजेश जी ..हार्दिक बधाई आपको चोका शिल्प में  माँ जगदम्बे की स्तुति सुंदर हुयी है ..सुंदर भाव ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 9:33pm

रचना बेहद उम्दा है ..मुझे इस बिधा की कोई जानकारी नहीं है ..इस बिधा को अभी सझना पड़ेगा ..इस रचना के लिए ढेरों बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on October 14, 2013 at 7:53pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार! आपके आशीष के लिए विशेष धन्यवाद!

सादर!

Comment by Meena Pathak on October 14, 2013 at 7:43pm

माँ जगदम्बे!

सुन! हे माता अम्बे!  

अब आ जगदम्बे!............... बहुत सुन्दर, माँ की कृपा आप पर सदैव बनी रहे | 

सुन्दर चोका विधा में रचना  हेतु बधाई स्वीकारे आ० बृजेश जी 

Comment by बृजेश नीरज on October 14, 2013 at 6:56pm

आदरणीय रमेश जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 14, 2013 at 4:54pm

बहुत ही सुंदर आदरणीय आपके चोका विधा में मां की प्रार्थना बहुत ही उत्तम है । आपके इस विधाने मुझे भी प्रेरित किया अस्तुबहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service