For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चप्पल   घिस-घिस कर आधे रह गए थे सूरज शर्मा के । पिछले 3 साल से अपनी मास्टर  डिग्री की फ़ाइल प्लास्टिक के थैले में रखे नौकरी की तलाश में  जगह-जगह धक्के और ठोकरें खाते घूम जो रहा था । मई महीने की दोपहरी थी ।  दैनिक पत्रिका के  " वान्टेड " वाले पृष्ठ में कई जगह पेन से गोल  घेरा लगाए  सूरज पिछले चार घंटे  से शहर के  चक्कर लगाते भूख प्यास से बेहाल हो चुका था । शाम  तक  2-3  इंटरव्यू और देना था उसे । बची-खुची हिम्मत जुटा , सिटी बस पकड़ने वो दौड़ पडा । सड़क पर  पहुँचते-पहुँचते सहसा चकराकर गिर  पड़ा  और  विपरीत दिशा से आता एक ट्रक उसके बाएं पैर को कुचलते  निकल गया । देखते-देखते भीड़ लग गयी । बेहोश हो चुके सूरज को लोगों ने अस्पताल पहुंचाया । होश आने पर सूरज ने देखा उसका बायाँ पैर घुटने के ऊपर से काटा जा चुका है । मन पीड़ा और अपने अपाहिज हो जाने के अहसास से तड़प उठा उसका । सहसा उसे ध्यान आया " वांटेड " वाले पृष्ठ में शायद  किसी बैंक का विज्ञापन था "  केवल विकलांगों के लिए सीधी  भर्ती "। उसका दिल अपने दोनों पैरों से बाल्लियों उछलने लगा  पर  उसके उदास चेहरे पर एक  विद्रूप सी मुस्कराहट उभर आई । 

.
मौलिक एवं अप्रकाशित -----
कपीश चन्द्र श्रीवास्तव --- दुर्ग 

Views: 1028

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 11:22am

 आदरणीय गणेश जी , बहुत-बहुत धन्यवाद । आपने मेरी लघु कथा की  प्रशंशा कर मेरा मान और मनोबल बढ़ाया है इसके लिए मै  आपका आभारी हूँ । 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:40am

कल से कई बार इस लघुकथा से साक्षात्कार किया और हर बार संज्ञाशून्य हो जाता हूँ, एकदम से ह्रदय को बेधती है यह रचना, एक कामयाब लघुकथा पर अतिशय बधाई स्वीकार करें आदरणीय कपिश चन्द्र श्रीवास्तव जी ।  

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 8:28am
      आदरणीय जीतेंद्र गीत जी  सिस्टम की ग़लत नीतियों की वजह से बढ़ते  बेरोजगारों के दर्द एवं  आक्रोश को उभारने हेतु छोटा सा प्रयास किया हूँ । तारीफ़ के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । 
 
Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 8:25am
      
  आदरणीय आशीष  जी  तारीफ़ के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । 

   
Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 8:23am
आदरणीय सौरभ पाण्डे  जी  मुझे  ख़ुशी हुई,  जो आपको विडम्बंना -लघु कथा  अच्छी लगी । आपकी तारीफ़ से  मेरा मनोबल बढ़ा  है | आपका बहुत -बहुत  धन्यवाद । 
      
   
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:30pm

बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा, सच! वर्तमान में शिक्षित बेरोजगारों की स्तिथि बहुत दयनीय है, बधाई आदरणीय कपिश चन्द्र जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 5, 2013 at 10:36pm

ह्रदयस्पर्शी कहानी है ! उत्तम रचना |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 10:03pm

कथा की भावुकता का स्वर हृदयद्रावक लगा है. 

आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. शुभकामनाएँ स्वीकार करें.

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 5, 2013 at 9:51pm

   आदरणीय अनुराग सैनी जी  ख़ुशी हुई मुझे जो आपको मेरी कहानी अच्छी लगी । आपका बहुत -बहुत  धन्यवाद । 
    
Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 5, 2013 at 9:50pm
         आदरणीया राजेश कुमारी जी  सिस्टम की ग़लत नीतियों की वजह से बढ़ते बेरोजगारी के कारण बेरोजगारों के व्यथित हृदय एवं उनके आक्रोश को उभारने हेतु छोटा सा प्रयास किया हूँ । आपका बहुत -बहुत  धन्यवाद । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service