For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उडो तुम व्योम के वितान में

पसारो पंख निर्भय .

अश्रु धार  से

नहीं हटेगी चट्टान                                                                                                                    

जो है जीवन की राह में

मार्ग अवरुद्ध किये,  खुशियों की .

गगन की ऊंचाई से

सब कुछ छोटा लगता है .

और तुम बड़े हो जाते हो.

बिस्तर की नमकीन चादर को

धुप दिखा कर 

फिर टांग दो परदे की तरह ..

 

पुर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 1, 2013 at 6:06pm

सादर आदरणीय

Comment by Neeraj Neer on October 1, 2013 at 8:31am

आदरणीय सौरभ जी सादर धन्यवाद, मुझे आपकी बात उचित प्रतीत होती है .. मैं उसे सुधार लेने का प्रयत्न करूँगा .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 28, 2013 at 9:39am

//उत्स का प्रयोग यहाँ आंसू के सन्दर्भ में गया है.. आँखों का उत्स ... भाव हैकि आंखो से निकलने वाले आंसू//

इस हिसाब से ’उत्स’ शब्द का प्रयोग उचित होगा आदरणीय ? कृपया पुनः देख लें.

उत्स, जैसा कि मैंने जाना और समझा है, किसी ऑब्जेक्ट के निर्गत या प्रारम्भ को कहते हैं. किसी ऑब्जेक्ट से निकलते अन्य किसी ऑब्जेक्ट के लिए प्रारम्भ नहीं होता. जैसे, सद्वृत्तियों का उत्स स्पष्ट मन और चित्त होता है. स्पष्ट मन और चित्त का उत्स सद्वृत्तियाँ नहीं होंगीं न !  यानि, आँसुओं या अश्रु का उत्स आँख अवश्य होगी. किन्तु, आँखों का उत्स अश्रु को मानना तनिक अन्यथा प्रतीत होता है.

जैसा मैंने समझा है वही साझा कर रहा हूँ.

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:44am

आदरणीय सौरभ जी . आभार आपका . उत्स का प्रयोग यहाँ आंसू के सन्दर्भ में गया है.. आँखों का उत्स ... भाव हैकि आंखो से निकलने वाले आंसू. आपका हार्दिक धन्यवाद ..  

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:42am

आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी रचना पसंद करने के लिए हृदय से आभार , आपकी प्रतिकिया से उत्साह बढ़ा है ..

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:41am

आदरणीय चंद्रशेखर पाण्डेय जी हार्दिक आभार 

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:40am

आदरणीय विजयाश्री जी बहुत आभार.

 

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:39am

आ. भाई अरुण शर्मा जी आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 28, 2013 at 12:57am

बहुत अच्छा प्रयास हुआ है भाईजी.. .

बधाई स्वीकारें .. .

उत्स  का किन अर्थों में प्रयोग किया है, आपने भाईजी... ??


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 2:52pm

सकारात्मक सन्देश देती सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
9 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service