For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || बहुत चर्चा हमारा हो रहा है ||

बहुत चर्चा हमारा हो रहा है

इशारों में इशारा हो रहा है /१  

लकीरें हाथ की बेकार हैं सब 

समझिये बस गुजारा हो रहा है /२ 

न जाने रूह पर गुजरी है क्या क्या 

बदन का खून खारा हो रहा है /३ 

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है /४  

तुम अपनी धड़कनों को साधे रखना 

तुम्हारा दिल हमारा हो रहा है/५ 
.............................................
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1297

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:38pm

बसंत नेमा :
श्रीमान ..आप ही हैं जिनसे साहित्यिक परिचय है पहले से ! बड़े बड़े सुखनवर हैं यहाँ पर ..सृजन की सार्थकता तो अब पता चलेगी...! बहुत बहुत आभार आपका ! आशा है इस साहित्यिक समुदाय के वरिष्ठ कलमकारों का सदैव मार्गदर्शन और सहयोग मिलेगा ..ग़ज़ल की इस अनुपम विधा को समझने के लिए !... पुनश्च धन्यवाद :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:29pm

saalim sheikh:
जनाब, जर्रानवाजी का शुक्रिया ! दिल से सलाम आपको ! आपने बढ़िया और मार्गदर्शी बात लिखी है अपनी टिप्पणी में ! मैंने मिसरा लिखते वक़्त, जरा भी नहीं सोचा था इस बारे में !...आभार आपका मेरे इस शंशय के निराकरण के लिए ...नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:23pm

श्री अभिनव अरुण :
महोदय, सादर प्रणाम आपको ! आपने हमारे दिल को छुआ है ! नवाजिश ..मेहरबानी आपकी ! इस स्नेह के लिए आभारी रहूँगा ! आशीष का अभिलाषी ....नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:18pm

श्री गिरिराज भंडारी :
मान्यवर , सादर नमन आपको ! ये तो आप सभी गुणीजन का साथ है ..जो बारीक़ और महीन बातों को समझने में हमारी मदद कर रहे हैं  ! मैं आपका इशारा भलीभांति समझ रहा हूँ ...'चर्चा को लेकर बहुत चर्चा हो रही है '..! जी , इस ओर प्रयासरत रहूँगा कि वर्तनी और लिंग आदि का भविष्य में ख्याल रखूं !... कोटिशः आभार आशीर्वाद देने के लिए ! नमन :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:11pm

Shijju Shakoor : 
जनाब मेहरबानी आपकी ! पसंदगी के लिए आभार एवं नमन ! उम्मीद से बढ़कर आप सबका प्यार मिला ...कृतग्य हूँ ! नमन :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:08pm

आदरणीया महिमा श्री :
बेहद शुक्रिया आपका ! आपने जिन मिसरों को अंकित किया है ..वे मुझे भी बेहद अज़ीज़ हैं !..आशीष देते रहिएगा ! दिल से सलाम :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 11:04pm

श्री अरुन शर्मा 'अनन्त' :
आदरणीय , अनेक धन्यवाद आपका ! आइन्दा..आपकी बातों पर गौर करूँगा  !..सीख रहा हूँ अभी ..आज पहली कक्षा से ही सीखने की शुरुआत हो गई ...ही ही ही ! नमन आपका इस स्नेह के लिए ! शुक्रिया :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 19, 2013 at 10:57pm

प्रथमतया, सभी बड़ों को चरण-स्पर्श और दिल से सलाम .... ! सारथी का विनम्र नमन ! :)

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 19, 2013 at 10:00pm

वाह भाई बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल क्या कहने लाजवाब अशआर बहुत ही बढ़िया बधाई स्वीकारें.

हकीक़त रूह को तड़पा रही है  .. भाई इस शेर में तकाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है. आप भी देख लें. 

बदन का खून खारा हो रहा है |

Comment by MAHIMA SHREE on September 19, 2013 at 9:02pm

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है |... बहुत ही बढ़िया आ. सारथी जी बधाई आपको

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service