For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिये की लौ ( लघु कथा )

कृति मौलिक न होने के कारण प्रबंधन स्तर से हटा दी गई है | 

एडमिन 

2013083107 

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:31am

लघु कथा तो नहीं पढ़ सका परन्तु मौलिकता ह्=को लेकर जो तर्क नीरज जी प्रस्तुत कर रहे हैं उससे स्पष्ट रूप से अपनी असहमति व्यक्त करता हूँ

....... किसी रचना के तीन मूल तत्व होते हैं -

भाव - आप क्या भाव प्रस्तुत करते हैं
कहन - भाव को किस प्रकार प्रस्तुत करते हैं
शिल्प - किस विधा में कहते हैं 

शिल्प और कहन सीखने की चीज ... भाव मौलिकता की बात है .... कोई इंसान कहन और शिल्प को सीख कर पत्रकार हो सकता है .. रचनाकार नहीं हो सकता ...रचनाकार होने के लिए भाव की मौलिकता आवश्यक है


Comment by बृजेश नीरज on August 30, 2013 at 6:33pm

मौलिकता को लेकर एक अनावश्यक बहस चल रही है। अपनी सोच, समझ और विचारों के साथ कोई रचना न करके किसी अन्य के रचे की बैसाखी पर चलकर यदि रचनाकर्म करना है और फिर मौलिकता की आपत्तियों को चुनौती देनी है तो फिर कहना क्या? विश्व के तमाम नामी गिरामी साहित्यकारों की रचनाओं को अपने शब्दों में ढालकर प्रस्तुत कर दिया जाए। काहे को इतना श्रम करना। छंद और गज़ल का शिल्प सीखना। इतने दिनों से नाहक मैंने अपना समय नष्ट किया।
अपनी गलती न मानकर अनावश्यक बहसों में अपना और दूसरों का समय नष्ट करना कुछ लोगों का शगल होता है।
एडमिन साहब का निर्णय स्वागत योग्य है।

Comment by shubhra sharma on August 30, 2013 at 4:49pm

एडमिन का फैसला स्वागतयोग्य , 

Comment by Neeraj Nishchal on August 30, 2013 at 4:38pm

एडमिन साहब बिलकुल सही प्रश्न है क्या कोई कहानी मौलिक हो सकती है , क्या मै कुछ ऐसा लिख
सकता हूँ जो पहले से कोई ना जानता हो , जब लेखक कोई ऐसी कहानी लिखता है जो मौजूदा हालात
पर लिखी गयी होती है और सभी उन हालातों से परिचित होतें हैं तो यकीनन वो कहानी बहुत ही ज्यादा सराही जाती है ,
लोग कहते हैं कितनी हकीकत छुपी है इस कहानी में और लोग उस हकीकत से परिचित होते हैं फिर भी आप अगर उसे मौलिक
और नव विचार कहते हैं तो थोड़ा सोच में पड़ जाता हूँ , कहानी होती ही है समाज की हकीकत पर और उस हकीकत पर
जिसे से हर कोई वाकिफ हैं फिर भी उसकी कहानी मौलिक है ?

Comment by Neeraj Nishchal on August 30, 2013 at 4:27pm

चलो आज ये बात सीखने को मिली कि कहानी का कोई शिल्प नही होता
अगर मैंने इस कहानी को कविता में ढाल लिखता तो शायद कोई
उंगली ना उठाता ।

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:48pm

एडमिन की जय हो । फैसला कबूल है

Comment by Admin on August 30, 2013 at 3:37pm

कथ्य, पात्र सब कुछ वही है फिर भी मौलिक है, क्या बात है ? अब तो यह जानना होगा कि वास्तव में मौलिक कहेंगे किसे ? 

नीरज मिश्रा जी, यदि आप ऐसे विचारों के पोषक है तो कृपया इस मंच को बख्श दें । 

यह पोस्ट कुछ घंटों बाद हटा दी जायेगी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 30, 2013 at 11:55am

नीरज जी और गीतिका जी दोनों के वार्तालाप को पढ़कर मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि ओ बी ओ एक ऐसा मंच है जो नव विचार नव सृजन  का स्वागत करता है नीरज जी  गनीमत है कि आपकी ये कथा प्रकाशित तो गई बहुत वक़्त पहले मेरी लिखी एक कहानी में क्यूंकि एक लोक कथा की झलक आ रही थी आदरणीय योगराज जी ने प्रकाशित ही नहीं की थी ,जिस निर्णय का महत्त्व आज मेरी समझ में अच्छी तरह आ चुका  है और यही इस मंच का उद्देश्य है आशा है आप मेरा आशय समझ गए होंगे शुभकामनायें  

Comment by shubhra sharma on August 30, 2013 at 11:02am

मैं आ ० गीतिका जी ,ब्रजेश नीरज जी , और बन्दना जी के टिप्पणी से पुर्णतः सहमत हू , रचना मौलिक तो होनी ही चाहिए ,ऐसे मौलिकता तो परिभाषित है लेकिन  दिए जा रहे तर्कों के सन्दर्भ में प्रबंधन को ह्श्तक्षेप करना चाहिय ,सादर 

Comment by vandana on August 30, 2013 at 6:56am

आदरणीय नीरज जी यह तो ठीक है कि दुनिया में विचार सीमित हैं उन्हीं को घुमा फिरा  कर सब कहते और लिखते हैं लेकिन यदि किसी रचना को पढ़कर यह लगे कि यह तो वही कहानी है तो मौलिकता पर प्रश्न तो उठता है जहाँ तक गीता जैसी प्रसिद्ध रचना के किसी संस्करण को पढने की बात है तो गीता  शुद्ध विचार है जिसने भी लिखा उसने चिंतन से विस्तार जरूर दिया या अनुवाद / भावानुवाद रहा होगा रामायण वाल्मीकि जी ने लिखी और रामचरित मानस के रूप में तुलसीदास जी ने भी एक ही कथा है लेकिन विचार देश काल परिस्थितियों का विवेचन सिर्फ भाषाई स्तर पर ही नहीं मानसिक स्तर पर भी पाठक को प्रभावित करते हैं और तभी दोनों कृतियाँ कालजयी हुई  कृपया इन बातों को अन्यथा मत लीजिये कला में चमत्कार होगा तभी वह आकर्षक होगी  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service