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" अम्मा ने कहा था"( लघु कथा )

उषा आज फिर देर से आई । मै कुछ पूछने को लपकी ही थी कि उसका चेहरा देख रुक गई, वह सिर पर पल्लू रखे चेहरे को छुपाने का प्रयास कर रही थी । वह अंदर आई और चुपचाप बर्तन उठाये और धोने बैठ गई । उसकी एक  आँख पूरी काली थी चेहरे पर और गर्दन पर कई निशान थे । कुछ न पूछना ही मुझे ठीक लगा । काम निपटा कर वह अंदर आई । मुझसे रहा न गया मैंने पूंछ ही लिया – “उषा क्या बात है आज फिर तुम्हारे पति ने तुम्हें .......” बात पूरी भी न हो पाई कि वह बीच मे ही काट कर बोली – “ नहीं भाभी ये तो देवता का परसाद है , अम्मा ने कहा था कि पति की हर बात, हर काम उसका परसाद समझ सिर माथे लगाना , वो  ही  तुम्हारा देवता है । और वो कड़वी सी हंसी हंस कर चल दी ।   

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 4:36pm

आदरणीय विजय निकोर जी , आदरणीय श्याम जी आपका आभार ।

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 12:22pm

 

आदरणीया अन्न्पूर्णा जी:

 

पति या किसी भी पुरुष की ओर से स्त्रियों के संग होते मानसिक और शारीरिक प्रहार का उन्मूलन करने के लिए हम सभी को बदलना होगा, केवल नारी को नहीं।

 

इस लघु कथा के लिए धन्यवाद

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:28pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार , आपका  मार्ग दर्शन मिलता रहे । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 8:37pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

पतियों की ज्यादती सहती स्त्रियों की व्यथा को शब्द मिले हैं

पर मुझे लगता है कि अंतिम पंक्ति को सपाट बयान के स्थान पर यदि व्यंग/ कटाक्ष के रूप में  परिवर्तित कर प्रस्तुत किया जाए तो अंत ज्यादा प्रभावी लगेगा.

इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ 

सादर.

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 7:36pm
आ० शुभ्रा जी आपका हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 1:04pm

आदरणीया अन्नपूर्णा  जी अच्छी कथा हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:32pm

आदरणीय वंदना जी आपका धन्यवाद ।  

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:30pm

आदरणीय पांडे जी आपके मशविरे के लिए आपका आभार । 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:28pm

आदरणीया मंजरी जी सत्य कथन है आपका , आज महिलाओं को ही जागने की ज्यादा जरूरत है । 

Comment by vandana on August 26, 2013 at 7:31am

जी आज भी देवताओं के प्रति ऐसा समर्पण देख जाता है 

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