For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन गण मन के अधिनायक

कौन हो तुम ?

जन गण मन के अधिनायक.

कहाँ रहते हो ?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ.

बरसों से हूँ मैं तुम्हारी खोज में,

तुम शून्य हो या हो सर्वव्यापी,

ईश्वर की तरह .

कौन हो तुम ?

तुम भारत भूमि तो नहीं ,

भारत तो माता है,

माता कभी अधिनायक तो नहीं होती .

तुम हो भारत भाग्य विधाता .

फिर बदला क्यों नहीं भारत का भाग्य.

भारत के भाग्य का ऐसा क्यों लिखा विधान.

कैसे विधाता हो ?

तुम्हारा स्वरुप तुम्हारी प्रकृति कैसी है?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ

मन मथ रहा है ..

............... नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 10:34pm

एक ही नाम है, बिना तख़ल्लुस-- सौरभ .. :-)))))

Comment by Neeraj Neer on August 25, 2013 at 7:03pm

आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , आपका सादर आभार . आपकी टिपण्णी पढ़कर अभिभूत हूँ .. मनोबल बढ़ा है .. बहुत धन्यवाद .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 1:23pm

आदरणीय नीरज नीर जी, आपकी इस कविता की भावनात्मक ऊँचाइयों पर मुग्ध भी हूँ और उठाये गये प्रश्नों पर निरुत्तर और जड़वत भी.  इन प्रश्नों को संदर्भ बना कर पन्ने पर पन्ने रंगे जा सकते हैं...  रंगे जाते रहे भी हैं, परन्तु, इतनी संयत भावभिव्यक्ति .. ओह ! अन्यतम ! 

आदरणीय, प्रस्तुत रचना किसी रचनाकर्म पर संदेह नहीं करती, अन्यथा कटाक्ष भी नहीं करती, अपनाये गये बिम्बों पर नम्रता से प्रश्न करती है. जिनके उत्तर अपेक्षित थे कि दिये जाते. किन्तु, नहीं, उन्हें आजतक टाला जाता रहा है, तंत्र द्वारा भी, समाज द्वारा भी.

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ

मन मथ रहा है ..

वाह !

सादर

Comment by Neeraj Neer on August 17, 2013 at 2:17pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र जी.. एवं आदरणीय बसंत नेमा जी .

Comment by विजय मिश्र on August 17, 2013 at 11:45am
"भारत तो माता है,
माता कभी अधिनायक तो नहीं होती |" - नागफणी के काटों की दंश से कम नहीं ये प्रश्न , अनेक राष्ट्रप्रेमी प्रबुद्धों के मन मथते होंगे .जिसने लिखा था ,उसने भी मनाही दियी थी कि सार की दृष्टि से यह गीत राष्ट्रिय प्रार्थना केलिए उपयुक्त नहीं है मगर नक्कारखाने में .......| सार्थक नीर बहाया है आपने |साधुवाद नीरजजी .
Comment by बसंत नेमा on August 16, 2013 at 11:47am

अति सुन्दर आ0 नीरज जी ..... शुभकामनाये 

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 1:42pm

शुक्रिया आदरणीया शुभ्रा शर्मा जी ..

Comment by shubhra sharma on August 15, 2013 at 1:02pm

आदरणीय नीरज  जी,जन गण मन को समर्पित एक अच्छी कविता , बधाई    

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 9:29am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं आदरणीय माथुर जी बहुत आभार आप का 

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 9:29am

आदरणीय वीनस केसरी जी बहुत आभारी हूँ आपका .. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service