For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : वही खिलते हुए फूलों सा तेरा मुस्कुराना हो

बहर: हज़ज मुसम्मन सालिम

वही दिलकश नज़ारा हो वही मौसम सुहाना हो,

वही खिलते हुए फूलों सा तेरा मुस्कुराना हो,

जुबां से कह नहीं पाया नज़र से तुम नहीं समझी,

बताना हो बड़ा मुश्किल कठिन उससे छुपाना हो,

पलटकर देखना तेरा ग़लतफ़हमी सही मेरी,

इसी धोखे के चलते बेवजह हँसना हँसाना हो,

अदा इक तो सनम कातिल खुदा से तुमने है पाई,

गिरे बिजली मेरे दिल पे जो तेरा भीग जाना हो,

चुराने आँखों से काजल फलक से आ गए बादल,

घटा घनघोर घिर आये जो नज़रों का झुकाना हो.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1089

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 12:58am

हा हा हा बड़ी गज़ब ग़ज़ल है ...

अल्हड जवानी सी रोमैंटिक ,,, :))))))))))

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 2:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय  :-))))

आपका मन खुश हुआ लेखन कार्य सफल हुआ मेहनत रंग लाई . आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2013 at 1:31pm

गुदगुदी.. सी हुई..   :-))))

लिखते रहें .. मन खुश हो गया भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:21pm

आदरणीय अभिनव भाई जी आपको ग़ज़ल पसंद आई जानकार प्रसन्नता हुई, हार्दिक आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:20pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया वंदना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:20pm

आभार केतन भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:20pm

आभार राज साहब

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:19pm

आभार जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:19pm

हार्दिक आभार बृजेश भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 1:19pm

हार्दिक आभार आदरणीया अनुपमा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
21 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
21 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service