For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जरूरत है प्रयास की 

कोशिश की 

कंक्रीट का जंगल 

और ठसाठस सड़के हैं 

नीला अंबर धूल धूसरित है 

उहापहो की स्थिति है 

इतने विशाल शहर में

हम और तुम निहायत अकेले हैं 

जीवन का उद्देश्य 

केवल जीवन यापन है 

नित्य क्रम की नियति को 

समझ लिया खुशी का समागम 

खोखली हंसी 

छिछला प्यार 

दिखावे के लिए मिलना जुलना 

केवल सतही संतुष्टि है 

झाँक कर देखा अंदर 

तो अजीब तरह का खोखलापन है 

गाहे बगाहे मैं भी हिस्सा हूँ इसी भीड़ का 

होंठो पे मुस्कान 

आँखों मे खुशी का भ्रम है 

अपने अन्तर्मन में 

अनगिनत प्रश्नों का सावन है 

क्यूँ हम इसके बाहर 

आने का रास्ता नहीं ढूंढते 

क्यूँ हम झूठ मे ही रहना 

पसंद करते हैं 

क्या भ्रम है 

क्या लोभ है 

पूछो स्वयं से 

अपने आपसे 

ये प्रश्न उठाओ..... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 28, 2013 at 11:04am

dhanyawad Saurabh Pandey jee..  utsahvardhan ke liye.. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 4:45pm

रचना प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद ... प्रयासरत रहें भाईजी.. .

शुभम्

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 15, 2013 at 10:51pm

आदरनिया प्राची जी .... मैं आपके कथन से पूर्णतः सहमत हूँ... आभार ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 15, 2013 at 10:50pm

आदरणीय रविकर जी  बहुत बहुत आभार ... धन्यवाद ... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 3:42pm

संवेदनहीन हुए कंकरीट के आलीशान जंगलों में जीता आदमी वास्तव में अंदर से खोखला ही है... स्वयं से इसपर प्रश्न करने और उत्तर खोजने को प्रेरित करती अभिव्यक्ति...सादर बधाई इस रचना पर 

रचना को और रोचक व प्रभावशाली  बनाया जा सकता था..कथ्य जन मानस से जुड़ा है फिर भी कहीं कहीं सपाटबयानी सी प्रतीत हो रही है.

शुभकामनाएँ 

Comment by रविकर on July 15, 2013 at 10:08am

खला खोखलापन हमें, भ्रमित ख़ुशी का दास |
प्रश्न उठाओ स्वयं से, कुछ तो करो प्रयास ||

बहुत बढ़िया है आदरणीय-
आभार आपका-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service