For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन चीजे कभी छोटी न समझे --शत्रु ,कर्जा,बीमारी.
तीन चीजे किसी की प्रतीक्षा नहीं करती--समय,मृत्यु,ग्राहक.
तीन चीजे भाई भाई को दुसमन बना देती है--जर,जोरू,जमीन.
तीन चीजे याद रखना चाहिए--सच्चाई,कर्त्तव्य,मृत्यु.
तीन चीजे असल उद्देश्य से रोकती है--बदचलनी,क्रोध,लालच.
तीन चीजे कोई चुरा नहीं सकता--बुद्धि ,चरित्र,हुनर.
तीन चीजे निकल कर वापस नहीं आती--तीर कमान से,बात जबान से,प्राण शारीर से.
तीन व्यक्ति वक़्त पर पहचाने जाते है--स्त्री,भाई और मित्र.
तीन चीजे जीवन में एक बार ही मिलती है--जवानी,माता और पिता.
तीन चीजे कभी नहीं भूलनी चाहिए--कर्ज,मर्ज,और फर्ज.
तीन का सम्मान करो--माता,पिता और गुरु.
तीनो को हमेश वश में रखो--मन्न,काम और लोभ.
तीन पर दया करो--बालक,भूखे और पागल पर.


"न चोर्यहर्यम,न च राज्यहर्यम!
न भ्रतिभाज्यम,न च भारकारी!!
व्ययेक्रिते वर्धते अवं नित्यम !
विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम!!"
---------------------------अर्थात-------------------------------------
" न तो ये चोर द्वारा चुराया जा सकता है,न तो ये राजा द्वारा छीना जा सकता है,
न तो ये भाई द्वारा बटा जा सकता है,न तो ये भार देने वाला होता है,
खर्च करने पर ये सदा ही बढ़ता है,इस लिए विद्या धन सब धनो में प्रधान मन जाता है"

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on August 7, 2010 at 12:57pm
well said ..each word r true
Comment by Admin on May 16, 2010 at 5:43pm
Achhi jankari diyey hai, bahut gyanbardhak batey hai, jai hooo
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 16, 2010 at 5:26pm
waah ratnesh bhai waah...baut badhiya jaankari dihani hum sab ke....
jai hoooooooooooooooooo

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
7 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service