For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!! वो कौन था !!

 

आये तो कई लोग, ज़िन्दगी मे मेरी मगर ।

वो कौन था जो सीधे, दिल मे समा गया ।।

सब तकते रहे राहे, मेरे आने की मगर ।

वो कौन था जो मुझे, इंतजार करा गया ।।

पाने को झलक मेरी, जमाना लडा मगर  ।

वो कौन था जिसकी झलक पे, मै मर गया ॥

चाँद तो आँसमा पे है, सब कहते रहे मगर ।

वो कौन था जो रात, मेरी खिडकी पे आ गया ।।

रखता हू कदम जँमी पर, फूँक फूँक कर मगर ।

वो कौन था जो निगाहो से, मुझे घायल कर गया ।।

बनते है संगेमरमर से, तो बेजान बुत मगर  ।

वो कौन था जो कल मेरी, महफिल मे आ गया ।।

आता हू मै ख्वाबों मे, हसीनाओ के मगर ।

वो कौन था जो कल मेरे, ख्वाबों मे आ गया ।।

पीते है सब लोग तो, मयखानो मे  मगर ।

वो कौन था जो मुझे, आंखो से पिला गया ।।

है फूल हजारो बाँग मे, तेरे माली मगर ।

वो कौन था जो मेरी, रुह को महका गया ।।

 

अब तक तो जिया हू मै, तन्हा जिन्दगी मगर  ।

वो कौन था जो अब, जीना मुहाल कर गया ।।

सुना है की लुटता है इश्क, देख के हुस्न को मगर ।

वो कौन था जो आंखो से मुझको, लूट के ले गया ।।

अब से पहले भी था मौसम, दीवाना बडा मगर ।

वो कौन था जो बसंत को शायर  बना गया ।।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on July 2, 2013 at 10:33am

आदरणीय हरिश जी  रचना आप को पसन्द आई उसके के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...

Comment by बसंत नेमा on July 2, 2013 at 10:31am

आदरणीया प्राची जी रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...

Comment by Harish Upreti "Karan" on July 1, 2013 at 11:38pm

वो कौन था जो सीधे दिल में समां गया.......उत्तम

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 6:24pm
आदरणीय..बसंत जी, बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकार करें
Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 4:03pm

आ0 अमन जी आप से क्या छुपाना जल्द ही खुलासा करेंगे .... रचना आप को पसन्द आई .उसके लिये बहुत बहुत  आभार ...शुकिया  

Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 4:01pm

आदरणीया गीतिका जी  आप क बहुत बहुत आभार  रचना आप को पसन्द आई ...

Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 3:59pm

आ0 अरुन जी आप की लालसा को जल्द ही शांत करने की कोशिश करुंगा .......बहुत बहुत धन्यवाद  ,    

Comment by aman kumar on July 1, 2013 at 1:26pm

वो था कोन ?

जो बसंत को शायर  बना गया |

पाठको को एक कवि दे गया .........

असली बात तो बतायेंगे नही पर बड़ी अच्छी कविता बन पड़ी है ..........

आभार 

Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 12:44pm

सही कहा अरुण जी! 

बढ़िया प्रश्न,, खूद से ही!!  

प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 12:29pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रयास है, आदरणीय वो कौन या वो कौन थी? ये जानने की लालसा मुझे भी हो चली है पता चले तो बताइयेगा जो इतना कुछ कर गया आपके साथ. बहरहाल प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service