For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,

गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |                                                                                                                                                              

उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता

सत्ता का वह मीत, बोलता  जैसे  तोता    

जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,

नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |

(२)

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में, ढेरों  हुए  अनाथ |

ढेरों हुए अनाथ, प्रकृति तांडव के चलते

बहती अश्रु की धार,बहुत से प्राण सिसकते 

कैसे  नरसंहार, देखकर मन हो चंगा,

सतत बहे रसधार, रखो अब पवित्र गंगा |

(3)

सौदा कर ईमान का, बनते रहे अमीर

मरने के ही साथ में,दफन हुई तस्वीर,

दफन हुई तस्वीर,दिखती ना इतिहास में 

जिनका रहा जमीर,रहे न धन की चाह में

बिकता रहा गरीब, मिल धनवान ने रोंदा

बनने हेतु अमीर, करे जमीर का सौदा |

(मौलिक व् अप्रकाशित) 

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

 

 

Views: 820

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 10:33am

जी आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी, आपके महत्वपूरण सुझाव समझ कर आवश्यक सुधार का प्रयत्न करता हूँ | गेयता मेरे लिए 
अभी तक समस्या बनी हुई है, जो प्रयास रत रह कर ठीक करने का प्रयास रत हूँ | आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 10:27am

छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया अन्नपूर्णा  वाज्ज्पेयी जी 

Comment by रविकर on June 26, 2013 at 10:08am

आभार आदरणीय-
भावपूर्ण कुण्डलियाँ छंद-
(१)
कपड़ा लत्ता लूट लें, लेते लूट लंगोट |
देख भागते भूत को, देकर जाता वोट ||
(२)
नंदी पर करते कृपा, मरें भक्त गन भृत्य |
तांडव गौरी कुंड पर, हे शिव कैसा कृत्य ||
(३)
अमी अमीकर आचमन, किन्तु अमीत अमीर |
चंद्रयान से चीरकर, दे संकुल को पीर |

Comment by aman kumar on June 26, 2013 at 9:45am

जिनका रहा जमीर,रहे न धन की चाह में

बिकता रहा गरीब, मिल धनवान ने रोंदा

बनने हेतु अमीर, करे जमीर का सौदा |

अच्छी प्रस्तुति ! 

आभार 

Comment by vijay nikore on June 26, 2013 at 12:47am

वर्तमान त्रासगी पर लिखे भाव अच्छे लगे, आदरणीय लक्ष्मण जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by वेदिका on June 25, 2013 at 11:18pm

त्रासदी की विभीषिका को वर्णन करते हुए दूसरा वाला छंद बेहद पसंद आया। 

कुंडलिया  छंद रचना  पर बधाई!!!  

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 25, 2013 at 11:11pm

आदरणीय लक्ष्मण सर जी वर्तमान त्रासदी पर बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा है आपने, इस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. आदरणीया प्राची दी से सहमत हूँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 25, 2013 at 7:53pm

आदरणीय लक्ष्मण जी 

सुन्दर कुंडलिया के लिए हार्दिक बधाई,

जहाँ जहाँ गेयता अवरूद्ध है वहाँ शब्दों को आगे पीछे कर के देखिये.. मात्रिकता निर्वहन के बाद भी शब्द विन्यास गेयता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है 

शब्द अश्रु की मात्रा  २+१= ३ है आपने शायद इसे २ ही गिना है, इस चरण में मात्रा ११ की जगह १२ हो रही है 

दफन हुई तस्वीर,दिखती ना इतिहास में 

जिनका रहा जमीर,रहे न धन की चाह में

इन दोनों पंक्तियों में चरणान्त विधा सम्मत नहीं हैं.रोला छंद में सम चरण का अंत २२ या ११२ या ११११ होना चाहिये 

जबकि आपने सम चरण का अंत २१२ से किया है 

रौंदा और सौदा की तुकांतता भी मेल नहीं खाती.

शुभेच्छाओं के साथ.

सादर.

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2013 at 6:53pm

केदारनाथ धाम में, ढेरों  हुए  अनाथ |

ढेरों हुए अनाथ, प्रकृति तांडव के चलते

बहती अश्रु की धार,बहुत से प्राण सिसकते 

कैसे  नरसंहार, देखकर मन हो चंगा.....................

 

सच ही कहा आपने ।

बहुत ही अच्छे कुण्डलिया लिखे है लक्षमण प्रसाद जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service