For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे पिता : सरिता भाटिया

मेरे पिता एवं भाई 


माँ ने जो बेशुमार प्यार दिया,

पिता ने चुपचाप दुलार किया !

ऊँगली पकड़ जो चलना सिखाया,

तुतलाते बोलों ने अर्थ आपसे पाया !

पिता की डांट में छुपा था प्यार ,

जिसका न हो पाया कभी इजहार !

अन्दर से नरम और ऊपर से कठोर ,

अकेले बैठ हमेशा ही हुए भावविभोर !

बेटे बेटी का न कभी किया अंतर ,

चलते ही रहे बिना थके आप निरंतर !

माँ के माथे की बिंदिया का थे विश्वास ,

साथ हमेशा होने का दिलाया अहसास !  

जब था अनजान सब दुनिया का नजारा ,

पिता के कन्धों पर बैठ देखा जग सारा !

जिंदगी के सफ़र का जब आपने विश्राम पाया ,

हमने कन्धों पर आपको मोक्षद्वार पहुँचाया  !  

पिता की छांव ने सिखाया खिलखिलाना ,

'सरिता' निरंतर बहना न व्यर्थ आँसू बहाना !!

.........................................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:19pm

इस रचना पर बधाई तो नहीं दे सकता बस इतना कहूंगा कि आप सतत रचना करते रहें, आपका भाव क्षेत्र बहुत व्‍यापक है । किसी को खोने के बाद भी पा लेने की स्थिति है और बहुत खूब है, सादर

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 12:48pm
आज जिसकी कमी होती जा रही है वही आपमें अभिव्यक्त है . माता-पिता के प्रति आपकी असीम श्रद्धा ने मेरी दृष्टि में आपको श्रद्धेया बना दिया .सादर .
Comment by ram shiromani pathak on June 15, 2013 at 7:17pm

आदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने //हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 6:47pm

माँ के माथे की बिंदिया का थे विश्वास ,

साथ हमेशा होने का दिलाया अहसास........बहुत सुंदर / सादर / कुंती

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:45pm

पिता की छांव ने सिखाया खिलखिलाना ,

'सरिता' निरंतर बहना न व्यर्थ आँसू बहाना !!

क्या कहूँ ... आँखें भीग गयी आप की रचना पढ के ...... बधाई आप को 

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 6:21pm

vijayashree आदरणीया विजयश्री जी तह दिल से स्वागत है आपका ,शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 6:20pm

बसंत नेमा जी हार्दिक आभार 

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:11pm

माता पिता के लिए जितना भी लिखा जाए कम है

 

श्रद्धेय पिता का गुणगान करती  सुंदर रचना / बधाई सरिताजी  

Comment by बसंत नेमा on June 15, 2013 at 4:03pm

बहुत ही सुदर रचना ... बधाई

Comment by Sarita Bhatia on June 15, 2013 at 3:11pm

 अरुन शर्मा 'अनन्त'   अरुण शुक्रिया स्नेहिल साथ बनाए रखें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service