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तेरे इन्तेज़ार का मौसम!

सजी हैँ ख़्वाब बनकर
जुगनुओँ की तरह
मासूम हसरतेँ दिल की
हिज़्र की पलकोँ पर...


यह टीसती हवायेँ
यह लम्होँ की तल्खियां
मचलने लगी है
हर तमन्ना
वक्त की आगोश मेँ..

मुन्तज़िर है आज भी दिल
किसी मख़्सूस सी
आहट के लिए..


यह मंज़र यह फ़िज़ायेँ
यह प्यार का मौसम
कितना है हसीँ
तेरे इन्तेज़ार का मौसम..!

*******************************

(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी

Views: 808

Comment

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Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 7:32pm

बहुत सुन्दर! आपको ढेरों बधाइयां!

Comment by वेदिका on June 7, 2013 at 7:24pm
इन पंक्तियों पर कुर्बान !!!
यह मंज़र यह फ़िज़ायेँ
यह प्यार का मौसम
कितना है हसीँ
तेरे इन्तेज़ार का मौसम..!  :)))

 

बधाई!

Comment by Vinita Shukla on June 7, 2013 at 6:57pm

इस सुंदर, सराहनीय रचना हेतु बधाई.

Comment by Shyam Narain Verma on June 7, 2013 at 5:46pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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