For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मंडी से आढ़त तक सबकी पर्ची कटी हुई !

ग़ज़ल - 

कुछ होनी कुछ अनहोनी का मेला  ही तो है ,

ये जीवन क्या माटी का एक ढेला ही तो है ।

साँसों की झीनी चादर पर रिश्तों के गोटे ,

भीड़ में भी होकर  हर शख्स अकेला ही तो है ।

इस घर से उस घर तक जाने में रोना हँसना ,

सब कुछ गुड्डे गुड़ियों का एक खेला ही तो है ।

सुख दुःख का संगम तट ये तन और सारा जीवन ,

आशाओं  उम्मीदों का एक रेला ही तो है ।

सूली ऊपर सेज पिया की छूने को तत्पर ,

हर कबीर अपने उस पी का चेला ही तो है ।

बहर काफिया और रदीफ़ में उलझा उलझा सा ,

कहते जिसको शायर वो अलबेला ही तो है ।

मंडी से आढ़त तक सबकी पर्ची कटी हुई ,

देखो तो ये दुनिया भी एक ठेला ही तो है ।

                                       @ अरुण पाण्डेय "अभिनव"

                                                 [20052013 ]

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 28, 2013 at 1:25pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय श्री अशोक जी , आपका स्नेह मिलता रहे यही कामना है !!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 24, 2013 at 8:26am

आदरणीय अभिनव अरुण जी सादर बहुत सुन्दर गजल कही है सभी अशआर  दिल को छू रहे हैं.बहुत बहुत मुबारकबाद कुबुलें.सादर.

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:29am

आभार आदरणीय श्री राम शिरोमणि जी ,डॉ आशुतोष जी और श्री नीरज जी इस "निर्गुण " ने आपको पसंद आने की अनुभूति दी मेरा रचना धर्म तुष्ट हुआ आभार पुनः !

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:28am

आदरणीय श्री अरुण अनंत जी बहुत आभार आपका रचना पसंद कर आपने टिप्पणी दे उपकृत किया है \

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:27am

यदि है तो ,श्री  वीनस जी इस ' शानदार ' में आपकी ग़ज़ल सीरीज के लेखों और मार्गदर्शन का बड़ा योगदान है बहुत आभार । आज ज्ञान को बांटने का पुनीत कार्य करने वाले आप जैसे व्यक्ति है दुनिया कायम है :-) 

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:24am

। आदरणीया शालिनी जी तहे दिल से आभार आपका 

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:24am

श्री ब्रिजेश शेर सुन्दर लगे भाई जी बहुत धन्यवाद आपका 

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:23am

राजेश जी बहुत शुक्रिया आदरणीय आपका !

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:23am

श्री राज शर्मा जी ये शेर आपको भ| गया लिखना सार्थक हुआ आभार आपका !

Comment by Abhinav Arun on May 22, 2013 at 9:22am

आदरणीय श्री , मन में उठे भावो को शब्द देने की कोशिश हुई ..उतनी चमत्कृत करती हुई नहीं बन सकी .. फिर भी आपने आशीष दे अनुगृहित किया सादर नमन आपके स्नेह को !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service