For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करूणा के वशीभूत होकर
हृदय ने,पूछा मुझसे यह,
जीवन की निर्जन-बेला में,
तू बता,मुझे कौन है वह?
 विशाल जीवन-सागर में
चलता है साथ तेरे जो,
क्या है कोई इस संसार में,
समझ सके विचार तेरे वो?
हृदय के इस प्रश्न ने,
डाल दिया मुझे सोच में।
फिर मन-ही-मन मैं लगी,
 स्वयं से यह पूछने।
इस विशाल-संसार में होगा
कहीं पर ऐसा कोई क्या?
दुःख-दग्ध और करूणा से पूर्ण,
समझेगा मेरे हृदय की व्यथा।
सोचा है मन में जो कुछ मैंने,
संभव है,वह सत्य हो पाए।
कभी,कहीं जीवन के पथ पर,
राह में 'वो' मुझे मिल जाए।
इस विशाल एकांत जीवन में,
सदा है मुझे जिसकी प्रतीक्षा।
बस यही मेरे व्याकुल हृदय को
देती उसके मिलन की आकांक्षा।
है ज्ञात,संसार में मिलेंगे प्रेमी कई
पर मानो,मुझे कोई अज्ञात है प्रिये।
प्रार्थना है,मेरी सफल हो तपस्या,
मेरा सारा जीवन है उसी के लिये।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 17, 2013 at 12:28am

अव्यक्त को अभिव्यक्ति देती इस् कविता का कैनवास बड़ा है. तदनुरूप प्रयास भी होना था जो शब्दों और विधा के संबल की मांग करता है.

आपके प्रयास के लिए बधाइयाँ.

सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 10, 2013 at 11:01pm

जो एक दुसरे के सुख दुःख को समझ सकें वही साथी हैं. इश्वर सबको मनचाहे साथी का वरदान दे.सुन्दर रचना आदरणीया सावित्री राठौर जी.

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 10:20pm

आदरणीय प्राची जी,सप्रेम नमस्कार !
बहुत - बहुत आभार आपके इन शब्दों के लिए।

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 10:20pm

आदरणीय राजेश जी, नमस्कार !
मेरी रचना पर आपकी टिप्पणी हेतु मैं आपका धन्यवाद करती हूँ। आप अपने दृष्टिकोण से ठीक हो सकते हैं,पर शब्द चयन रचनाकार की अपनी मनःस्थिति एवं भाव-दशा पर आधारित होता है और मेरी ये दोनों पंक्तियाँ मेरी मनोदशा पर आधारित हैं।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 9, 2013 at 7:18pm

स्वयं की वार्तालाप स्वयं के हृदय से.....

और  प्रेम की गहनता को महसूस करने किसी अज्ञात के अस्तित्व पर यकीन, जो हृदय में उठे हर भाव को हर सोच को पूरी तरह जान पाए...

सुन्दर भाव रचना के .हार्दिक बधाई प्रिय सावित्री जी 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 9, 2013 at 4:56pm

अज्ञात के प्रति एक ललक एक जिज्ञासा सबकी होती है और वो अगर प्रेम हो तो आकर्षण और भी अधिक बढ़ जाता है । आपने सुंदर तरीके से भावनाओं को शब्‍द देने का प्रयास किया है, कुछ जगह मुझे बेमेल लगे यथा करूणा के वशीभूत होकर
हृदय ने,पूछा यहां करूणा शब्‍द की जगह कुछ और होना था क्‍योंकि करूणा से यह पता लगता है कि आपकी अवस्‍था काफी करूण थी जबकि कविता ऐसा भाव प्रकट नहीं करती । पुन: 15 वीं पंक्ति में ऐसा ही भाव है । कविता अज्ञात की खोज को लेकर है ना कि आपकी दीनता को प्रदर्शित करने के लिए । इनका कुछ करना होगा, कम से कम मेरा यही विचार है, सादर

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 4:42pm

आदरणीय कुंती जी,नमस्कार !
आपके इन प्रशंसात्मक शब्दों ने मेरे मन को छू लिया।मुझे प्रसन्नता है कि मेरी रचना ने आपको भाव -विभोर किया और पुराने गीत को याद दिलाकर आपके मन में एक जगह तो बनाई।ऐसे ही स्नेह बनाये रखियेगा।

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 4:35pm

आदरणीय विजय जी,नमस्कार !
आपके इतने सुन्दर शब्दों में अपनी रचना की सराहना सुन मेरा मन प्रफुल्लित हो गया और अपना यह रचना कर्म मुझे आज सार्थक जान पड़ा।आपने  मेरे भावों को आत्मसात किया,उसके लिए आपकी आभारी हूँ।

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 4:28pm

आदरणीय बसंत नेमा जी प्रणाम !
मेरी रचना को समय,सम्मान एवं सराहना देने के लिए आपका बहुत -बहुत आभार।
आज संसार में सर्वत्र स्वार्थपरता है।आज सच में इस संसार में एक ऐसा व्यक्ति मिलना दुर्लभ है,जो आपको समझता हो,आपकी भावनाओं को समझता हो,उसके बाद आती है बात उन भावनाओं को मान देने की।पर जब कोई आपको ही नहीं समझता तो आपकी भावनाओं को क्या समझेगा और उन्हें क्या मान देगा।ऐसे में केवल उस अज्ञात प्रियतम की प्रतीक्षा ही की जाएगी।

Comment by Savitri Rathore on April 9, 2013 at 4:16pm

आदरणीय मीना जी,राम शिरोमणि जी,श्याम नारायण जी ,सादर नमस्कार !
आप सभी लोगों ने मेरी रचना को समय और सराहना प्रदान की,जिसके लिए मैं आप सबके प्रति हृदय से आभारी हूँ।मेरा यह प्रयास सदैव रहेगा कि मैं आप लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतर सकूँ।ऐसे ही स्नेह बनाये रखियेगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service