For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देख धनी बलवान के, चिकने चिकने पात।
दुखिया दीन गरीब के, खुरदुर चिटके पात।।

दुखिया सब संसार है, सुख ढूंढन को जाय।
दूजों का जो दुख हरे, सुख खुद चल के आय।।

अपना कष्ट बिसारि के, औरों की सुधि लेय।
नहीं रीति ऐसी रही, अपनी अपनी खेय।।

अपनी अपनी सब कहें, अपनी अपनी सोच।
इक दूजे की नहिं सुनें, लड़ा रहे हैं चोच।।

मन की इच्छा जानकर, चला शहर की ओर।
जाकर देखा जो वहाँ, मचा हुआ है शोर।।


                                      - बृजेश नीरज

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 1:35pm

आपका आभार आदरणीय रविकर जी! आपका मार्गदर्शन मेरे पथ प्रदर्शक होगा।

Comment by बृजेश नीरज on March 3, 2013 at 1:32pm

आदरणीया प्राची जी,

इतने विस्तार से मार्गदर्शन के लिए आपका बहुत आभार!

आपका मार्गदर्शन बहुत सहायक हुआ। आगे के लिए भी आपके सुझाव मार्गदर्शक साबित होंगे। आपके द्वारा सुझाए संशोधन मैंने प्रस्तुत किए हैं।

एक बात जरूर पूछना चाहूंगा।

एक संशय मन में रह जाता है।

//....एक दूजे की न सुनते....में मात्रा १४ हो रही है//

‘ए’ का उच्चारण तो यहां लघु है फिर इसे दीर्घ मात्रा क्यों गिनें?

एक चैपाई उदाहरण के लिए प्रस्तुत करना चाहता हूं।

‘जलधि लांघि गए अचरज नाहीं’ यहां 16 मात्राएं ही तो हैं। ‘ए’ को लघु ही माना गया है।

सादर!

 

 

Comment by रविकर on March 3, 2013 at 12:51pm

बहुत बढ़िया प्रयास है आदरणीय-
बढ़िया भाव हैं -
आभार
कुछ सामान्य परिवर्तन से गेयता पर फर्क पड़ सकता है-
शेष पर विद्वान जन प्रकाश डालेंगे-
सादर-
देख धनी बलवान के, चिकने चिकने पात।
दुखिया दीन गरीब के, खुरदुर चिटके पात।।

दुखिया सब संसार है, सुख ढूंढन को जाय।
दूजों का जो दुख हरे, सुख खुद चल के आय।।

अपना कष्ट बिसारि के, औरों की सुधि लेय।
नहीं रीति ऐसी रही, अपनी अपनी खेय।।

अपनी अपनी सब कहें, अपनी अपनी सोच।
इक दूजे की नहिँ सुने, लड़ा रहे हैं चोच।।

मन की इच्छा जानकर, चला शहर की ओर।
जाकर देखा जो वहाँ, मचा हुआ है शोर।।

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 12:39pm

अपनी अपनी सब कहें, अपनी अपनी सोच।
एक दूजे की न सुनते, लड़ा रहे हैं चोच।।...sach hai....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2013 at 12:32pm

दोहों के प्रयास के लिए बधाई श्री ब्रिजेश नीरज जी, कमियों की और डॉ प्राची जी ने विस्तृत टिपण्णी करदी है | गौर करने योग्य है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 3, 2013 at 12:02pm

दोहा छंद पर सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय बृजेश कुमार जी,

देख धनी बलवान के, चिकने चिकने पात।
दीन दुखिया गरीब के, खुरदुर चिटके पात।।........यह दोहा शिल्पगत है, मात्राओं के अनुरूप है पर //दीन दुखिया गरीब के// इस चरण में गेयता बाधित हो रही है.

दुखिया सब संसार है, सुख ढूंढन को जाय।
दूजों का जो दुख हरे, सुख चलकर के आय।।....यह दोहा भी शिल्पगत है, पर //सुख चलकर के आय// को सुख चलकर खुद आये , करें तो कैसा रहेगा..( सुझाव मात्र है )

अपना कष्ट बिसारि के, औरों की सुधि लेय।
सुख चलकर के आय, अपनी अपनी खेय।।... इस चरण //सुख चलकर के आय// में भी गेयता बाधित है .

अपनी अपनी सब कहें, अपनी अपनी सोच।
एक दूजे की न सुनते, लड़ा रहे हैं चोच।।....एक दूजे की न सुनते....में मात्रा १४ हो रही है.. यदि एक को इक कर दिया जाए तो मात्र १३ हो जायेगी
फिर भी गेयता बाधित ही लग रही है... इक दूजे की नहिं सुनें...ऐसा कर के देखिये

मन की इच्छा जानकर, चला शहर की ओर।
वहां जाकर देखा तो, मचा हुआ है शोर।।.............वहां जाकर देखा तो..यह किसी गद्य की पंक्ति सा प्रतीत होता है, इसमें भी गेयता बाधित है

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय, पर निरंतर प्रयास से यह छोटी छोटी बाधाएं भी पार हो जायेंगी , और बहुत ही जल्दी आप बिलकुल शिल्पगत और सधे हुए दोहों से मंच को समृद्ध करेंगे..

शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on March 3, 2013 at 11:31am

दुखिया सब संसार है, सुख ढूंढन को जाय।
दूजों का जो दुख हरे, सुख चलकर के आय।।

आपके दोहे पढ़कर बड़े ज्ञानवर्धक है !!आदरणीय बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जी बधाई स्वीकारें !!!!!!!!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service