For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खास आपके लिए
लाया मैं मिठा सपना
क्या मैं इस योग्य हूँ
मुझे अब तक नहीं पता
इस बात का कि
मैं ला सकता हूँ
आपके लिए मीठा सपना।

लोग कहते हैं मुझको
कि मैं नहीं हूँ योग्य
किसी के लिए कुछ भी
मीठा ला सकने में
ला सकता हूँ मैं सिर्फ
कङवा ही कङवा।

पहली बार लाया था मैं
बङा ही मन लगाकर
किसी अपने के लिए
एक मनपसन्द चीज
मेरे ख्याल से
नहीं पूछा था उसको
कि क्या है उसका मनपसन्द।

देखकर इतना गुस्सा हुआ
मेरा प्रियतम मुझसे रूठा
ला दी थी मैंने
उसकी सबसे घृणित चीज
इसलिए जब भी लाता हूँ
किसी अपने के लिए
कोई खास चीज
डरने लगता हूँ मैं मन में
कहीं निकल ना जाए
वो कङवी और घृणित चीज।

खास आपके लिए
अब जब भी लाता हूँ
कोई खास चीज
तो पूछ लेता हूँ पहले
आपकी मनपसन्द चीज
क्योंकि डरता हूँ अपने मन में
खास आपके लिए
लाई गयी खास चीज
दूर ना कर दे आपको मुझसे
पहले की तरह हमेशा की तरह।

- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'
08485851448
(पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 8:29pm
रचना पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए शुक्रिया किशन जी।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 8:10pm
रचना पर सार्थक टिप्पणी के लिए शुक्रिया डॉ॰ प्राची सिंह जी। इसी तरह हमारे हौंसले रुपी गमले को सींचती रहें।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 8:04pm
पीठ थपथपाने के लिए धन्यवाद रविकर जी। आपके मार्गदर्शन में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 7:48pm
आपकी सार्थक और प्रोत्साहन करने वाली टिप्पणी के लिए धन्यवाद राजेन्द्र कुमार जी। अभी तो मैं दो पत्तों वाला पौधा हूँ जिसने साहित्य रुपी वसुन्धरा के बाहर थोङा सा सर निकाला है। आप जैसे उच्च कोटि के साहित्यकारों की संगत में रहकर सार्थक टिप्पणी रुपी खाद पानी मिलने पर पौधा भी रचना क्षेत्र में परिपक्व होता जाएगा।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 1, 2013 at 3:46pm

 तोहफों के चयन के लिए मन में व्याप्त डर को बढ़िया अभिव्यक्त किया है..बधाई 

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:40pm

बिलकुल भाई-
बढ़िया प्रस्तुति -
शुभकामनायें-

Comment by राजेश 'मृदु' on March 1, 2013 at 11:22am

पहली बार इस पटल पर आपकी रचना पढ़ते हुए जिसकी उम्‍मीद थी वह बात नहीं हुई, मन थोड़ा कसमसाया कि ऐसा कैसे हो सकता है पर पूरी रचना पढ़ते-पढ़ते आश्‍वस्ति गहरे उतर गई, आशा है यह आश्‍वस्ति आगे भी आप देते रहेंगें और मैं पाठक उसको समेटे मीठे सपने को बिना किसी कड़वाहट के स्‍वीकार एवं अंगीकार करता रहूंगा । हार्दिक बधाई इस सुंदर रचना पर

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on February 28, 2013 at 7:38pm
शुक्रिया श्याम नारायण वर्मा जी और पवन अम्बा जी। आपकी हौंसला अफजाई से हमारी रचनाशीलता और परिपक्व होगी।
Comment by pawan amba on February 28, 2013 at 5:40pm

achha hai...

Comment by Shyam Narain Verma on February 28, 2013 at 5:10pm

KYA BAT HAI.....

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service