For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समाज का पोस्टमार्टम

गिर रहा है मनुष्य का अस्तित्व
यह शब्द हर समय वातावरण में गूंज रहा है।
फिर भी थम नहीं रही है,
बलात्कार और अपहरण की घटनाएं
कभी बस, कभी ट्रेन तो कभी चौक चौराहे से उठ रही हैं
सिसकियां
हर समय हो रहा है समाज का पोस्टमार्टम
एक
आज के अखबार में छपा था
चौराहे पर दिन दहाड़े हुआ
एक कमसिन युवती के साथ बलात्कार
अखबार को मिले चटपटे मसाले से
उड़ रही थीं समाज की धज्जियां
पत्रकार और अभियुक्त दोनों ताव दे-देकर ऐंठ रहे थे मूंछे
क्योंकि
एक पहले पन्ने पर छपा था बाईलाइन
तो दूसरे ने किया था समाज का पोस्टमार्टम
दो
वहशियाने हरकत की शिकार युवती की लाश पड़ी थी चौराहे पर
जहां होना चाहिए था लाज का आंचल
वहां पर चिथड़ों में दिखाई पड़ रहे थे
नाखूनों के खरोंच
और इज्जत के सामने राह चलने वाले सिर झुकाने को थे मजबूर
लेकिन दो गज कपड़े के लिए सभी थे कू्रर
सभ्य समाज इतने पर भी चुप था
कोई उसे बदचलन कहता तो कोई बेचारी
लेकिन इस हरकत के खिलाफ आवाज उठाने की नहीं समझी किसी ने भी जिम्मेदारी
तीन
छह घंटे बाद,
सिमसिम की आवाज के साथ पुलिस ने खोली अपनी फाइल
और फिर उसी तरह बंद कर दी
जिस तरहपोस्टमार्टम हाउस के मेहतर ने
पोस्टमार्टम हो चुकी युवती के शरीर को फाड़कर
फिर किया पोस्टमार्टम,और पुन: शरीर को सिल दिया।
अतुल चंद्र अवस्थी *अतुल

Views: 407

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 28, 2013 at 1:57pm

आदरणीय पाठक जी रचना पसंद आई सादर आभार.

Comment by ram shiromani pathak on January 28, 2013 at 1:49pm

वाह वाह क्या रचना है ,शब्द नहीं है 

Comment by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 27, 2013 at 12:23pm

आदरणीय सीमा अग्रवाल जी हौसला बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत आभारी हूं।

Comment by seema agrawal on January 27, 2013 at 12:17pm

 दोहरे मूल्यों से ग्रस्त समाज को आईना दिखाती रचना ..हार्दिक बधाई 

Comment by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 27, 2013 at 12:06pm

आदरणीय बागी जी- समाज का एक कड़वा सच शब्दों के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है। हौसला बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2013 at 3:04pm

समाज का एक नंगा सच, जिसे मानना हमारी विवशता है , दोषी हम सब हैं , आँखों के सामने होता है और हम तमाशबीन होते है, बहुत ही संवेदनशील रचना की प्रस्तुति है , बहुत बहुत बधाई आदरणीय अतुल चन्द्र अवस्थी जी ।

Comment by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 25, 2013 at 8:59pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी और श्री श्याम नरायन जी हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by ram shiromani pathak on January 25, 2013 at 7:47pm


इस संवेदनशील रचना के लिए बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on January 25, 2013 at 4:38pm

Bahot khoob

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
3 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
3 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service