For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इतनी शिकायत बाप रे

एक और शुरुआती दौर की ग़ज़ल......
कच्चे अधपके ख्यालात.......
एक दो शेअर शायद आपने सुना हो, पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है
बर्दाश्त करें ....


इतनी शिकायत बाप रे  |
जीने की आफत बाप रे  |

हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |

जो खौफ बाँटें उनके भी,
लब पर तिलावत बाप रे |
तिलावत - कुरआन पाठ


नेता दरोगा और क्लर्क,
इनकी शराफत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |

ऐसी पडी है देश को,
लुटने की आदत बाप रे |

कुछ शर्म कर अह्.ले  सुखन,
पल पल सियासत बाप रे | 

घायल पड़ा है जब वतन,
फिर भी शराफत बाप रे |

२४/०४/२०१०

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 1:03pm

हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |.........बिलकुल ऐसी बाप रे इस उम्र में ही होती है 

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |.....,सच कह दिया रे कह दिया

..........................................इतनी हिमाकत बाप रे.........ये बचपन था या बचपना वीनस जी 

कुछ शर्म कर अह्.ले  सुखन, 
पल पल सियासत बाप रे |...........वाह सही कहा है 

शुरुआती दौर की कच्चे अधपके ख्यालात  की कुछ और गज़लें हो जाएँ 

 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 12, 2012 at 11:47am

वीनस भाई बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। छोटे बहर में अच्छे शेर निकाले हैं। पूरी ग़ज़ल पर ये एक शेर भारी है॥शेर की हर क्वालिटी पे खरा....बार बार वाह वाह करने को मन कर रहा है॥

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |।

।।।।॥

॥।।।।

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |....

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 11:37am

पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है 
बर्दाश्त करें ....  ऐसी गुजारिश बाप रे! हाहाहा 

हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |..............वाह, दुविधा को किस आसानी से शब्द दिए हैं 

जो खौफ बाँटें उनके भी, 
लब पर तिलावत बाप रे |.............क्या कहने 

सुन्दर ग़ज़ल के हार्दिक दाद क़ुबूल करें 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 12, 2012 at 11:07am

वीनस भाई सारे के सारे अशआर माशाल्लाह लाजवाब हैं दिली और ढेरों दाद कुबूल कीजिये.

Comment by नादिर ख़ान on December 12, 2012 at 10:39am

जो खौफ बाँटें उनके भी, 
लब पर तिलावत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे | 

ऐसी पडी है देश को, 
लुटने की आदत बाप रे |

क्या कहने वीनस जी पूरी गज़ल लाजवाब है ।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 12, 2012 at 10:31am

घायल पड़ा है जब वतन, 
फिर भी शराफत बाप रे |

पड़ने लगा है जाडा 

घुमते नंगे बदन बाप रे 

सारे शेर शानदार, 

बधाई भी जानदार बाप रे 

सादर , आदरणीय वीनस जी,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
3 hours ago
Admin posted discussions
14 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service