For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बदलते मौसम में अपनी हिफाजत खुद करे (हास्य व्यंग)-लक्ष्मण लडीवाला

भाई राज दवा नवी की  डायरी के चालीसवे पन्ने ने बदलते मौसम से बेखबर से मुझे खबर कर दिया |
गर सीलिंग फेन की गडगडाहट बंद होती है, तो रियाज करते मच्छरों की आहंग (संगीत,आवाज) या 
गुनगुनाहट हलकी नींद को उड़ा देती है | डेंगू जैसा मच्छर  काट गया तो मै भी करोडो अनजाने लोगो
से सैकड़ो जाने पहचाने डेंगू मरीजों में शुमार हो जाऊँगा, यह सोंचकर ही गहरी नीद नहीं ले पाता हूँ | 
और फिर अगर डेंगू की महरावानी से और बेचारे हमारे असहाय डाक्टर की असमर्थता के  कारण 
आदरणीय यश चोपड़ा की तरह अखबारों और मीडिया चैनेलों की नज़रों में आगया, तो श्रद्धांजलियों 
के अहसान के बोझ तले  दब जाने का डर भी सताने लग रहा है | फिर एक और सवाल जहन में ये है 
कि इन श्रद्धांजलियों के प्रति आभार भी तो व्यक्त करने के लिए खुदा तीन दिन बाद एक बार पुनः 
जीवन नहीं देता, जैसे तीन दिन बाद ईसा मसीह जीवित हो उठे थे | अब मेरे जैसे मच्छर समान व्यक्ति 
पर प्रभु इतनी कृपा करेंगे, इसका आश्वासन भी कोई नहीं दे सकता | 
 बस अब तो पञ्च तत्वों की आराधना करने और मौसम देवता को महरवानी करने की प्रार्थना करने
 के अतिरिक्त और कोई चारा नजर नहीं आता | मुझ जैसे करोडो लोगो के पास मौसम परिवर्तन के दौर 
तक विदेश घूम आने की सामर्थ्य भी तो नहीं है | 
अतः इस बदलते मौसम में कृपया अपनी हिफाजत खुद ही करे | सावधान रहे | स्वस्थ रहे |रब्बा खैर करे | 
ॐ हरी शरणम् |  
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

 

 

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2012 at 9:49am

हास्य व्यंग में आपको बदलते मौसम से सावधान करने का प्रयास पसंद आया,इसके लिए आपका  हार्दिक आभार विनीता शुक्लाजी 

Comment by राज़ नवादवी on October 26, 2012 at 11:12pm

नवादवी से बना दिया दवा नवी, अब तो आपकी खैर लें सबके नबी! मौसम के बदलते करवट के आहंग को कर दिया मच्छरों के नाम, ये कैसा पासा पलट दिया भाई लक्षनम ने, हाय राम! बधाई हो आदरणीय लक्षनम जी! 

हाहाहाहा, सादर! 

Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 10:14pm

हास्य व्यंग्य का पुट लिए, बदलते मौसम से; एक अलग ही अंदाज़ में चेताने वाली रोचक रचना. बहुत बहुत बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
4 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service