For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अचानक नहीं मिलती सफलता

जिंदगी में सफलता पाने के लिए जरूरी है, सबसे पहले उसको ढूंढा जाए. जो आपके और आपकी सफलता के बीच में बाधक बना हुआ है. संभव है कि वह आपके पास नहीं तो बहुत दूर भी नहीं होता है. हम जिनको अपना कहते है कि उनको हमारी सफलता पर गर्व होता है. इसलिए वह चार से ज्यादा नहीं हो सकते. क्योंकि किसी भी परिस्थिति में हम अपने दाएं-बाएं और आगे-पीछे वालों के ही नजदीक होते है. हम हमेशा उन चारों के सुरक्षा घेरे में स्वयं को सुरक्षित महसूस करते है. इन चारों की वजह से ही हम अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब होते है. इन चारों को हमारी सफलता के अलावा किसी और बात से कोई मतलब नहीं होता. यह चार ही हमारी कमियों को दूर करने का भरसक प्रयास है. इन चारों के अलावा जो भी हमारे अपने होने का विश्वास जताते है, उनमें ही हमारा दुश्मन होता है. उसको पहचान कर यदि उस पर काबू कर लिया तो समझो सफलता के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा को दूर कर लिया. अगर कही हमारी गलतियों की वजह से इन चारों में से एक हमारा विरोधी हो गया, तो समझो गए काम से, फिर कोई हमको असफल होने से नहीं रोक सकता. फिर तो दुनिया वाले ही कहते है कि घर का विभीषण लंका ढहाए. लेकिन चार के अलावा और किसी को हमारी सफलता-असफलता से कोई मतलब नहीं होता. कभी-कभी तो हम इन चारों की बात को भी अहमियत नहीं देते. और वक्त अपनी गति चलता हुआ हमारी मंजिल को हमेशा-हमेशा के लिए हमसे दूर कर देता है. परिणामत: जब हम दुनिया की नजरों में नाकामयाब साबित हो जाते है तो यह चार ही हमको सहारा व साहस देते है आगे जीने के लिए. यह भी एक कटु सत्य है कि अपनी ही धुन में लक्ष्य पर अडिग रहने वाले को दुनिया वाले एक पागल से ज्यादा कुछ नहीं समझते. लेकिन सफलता मिलते ही वह पागल स्टार बन जाता है. तब वह इन चारों के सहयोग से ही चारों दिशाओं में जगमगाता है. सफलता अचानक नहीं मिलती, इसके लिए दिन-रात एक करना पड़़ता है और जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए लालायित रहे, उनके पास फालतू की बातों के लिए वक्त कहां से होगा. बस यह चार ही हमको लक्ष्य पर पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण साबित होते है. इसलिए जरूरी है अपने दाएं-बाएं और आगे-पीछे रहने वालों की अहमियत को समझने और इनके अलावा अपने सबसे बड़े दुश्मन को पहचानने की. अगर सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है, इस दुनिया से जाते वक्‍त भी तो चार कंधों की जरूरत होती है. 

Views: 317

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on August 25, 2012 at 1:05pm

हरीश जी ,अपनों का साथ हो तो इंसान क्या नही कर सकता ,बढ़िया आलेख ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service